दुष्यंत पुत्र भरत कौन थे? जिनके नाम पर हमारे देश का नाम “भारत” पड़ा
राजा दुष्यंत पुरुवंशी राजा थे एक बार वे वन मे शिकार करने गए थे वहाँ पर उनकी मुलाकात
ऋषि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की त्यागी संतान और कणव ऋषि की पालित पुत्री शकुंतला से हुई
उन दोनों मे प्रेम हो गया दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया अपने प्रेम मे वे दोनों सुध बुध खो गए जब उधर से ऋषि दुर्वासा जा रहे थे तो उनहुने उनका आदर सत्कार नहीं कीया दुर्वासा ने शकुंतला को श्राप दे दिया
की जिस प्रेम में तुम खोई हो एक दिन यही राजा तुमको भूल जाएगा भविष्य मे श्राप सत्य हुआ जब कणव ऋषि ने शकुंतला को बिदा कीया तो उस वक्त शकुंतला गर्भवती थी परंतु जब वह राजा दुष्यंत के पास गई
तो वह उसे भूल गया दुष्यंत ने जो निशानी शकुंतला को अंगूठी सरूप दी थी वह भी गुम होकर किसी मछली ने निगल लि थी जब शकुंतला फिर से बन मे जाकर भटकने लगी तो उसने एक वीर पुत्र को जन्म दिया जो की राजा दुष्यंत और शकुंतला के गंधर्व विवाह से हुआ था तब शकुंतला ने अपने पुत्र को पाला उसको अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी आगे चलकर एक दिन एक मछुवारे को राज अंगूठी मिली वह राजा के पास गया जब राजा दुष्यंत ने उस अपने द्वारा शकुंतला को दी हुई अंगूठी को देखा तो उसको सब कुछ याद आ गया राजा शकुंतला को खोजते खोजते वन मे गया तभी उसने देखा एक ऋषि पुत्र जंगल के राजा शेर के साथ खेल हा था और उसके दाँत गिन रहा था.