दिल्ली लौह स्तम्भ में जंग क्यों नहीं लगता? जानिए

लाहे के स्तम्भ में इतने सालों के बाद भी जंग न लगना किसी रहस्य से कम नहीं है।

साल 1998 में इसका खुलासा करने के लिए IIT कानपुर के प्रोफेसर डॉ. आर. सुब्रह्मण्यम ने एक प्रयोग किया। रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि इसे बनाते समय पिघले हुए कच्चे लोहे (Pig Iron) में फास्फोरस (Phosphorous) को मिलाया गया था। यही वजह है कि इसमें आज तक जंग नहीं लग पाया है।

अब दुनिया यह मानती है कि फास्फोरस का पता हेन्निंग ब्रांड ने सन 1669 में लगाया था, लेकिन इसका निर्माण तो 1600 में किया गया था यानि कि हमारे पूर्वजों को पहले से ही इसके बारे में पता था। इससे एक बात तो साफ है कि प्राचीन काल में भी हमारे देश में धातु-विज्ञान का ज्ञान उच्चकोटि का था।

कुछ इतिहासकारों का तो यह भी मानना है कि स्तम्भ को बनाने में वूज स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसमें कार्बन के साथ-साथ टंगस्टन और वैनेडियम की मात्रा भी होती है जिससे जंग लगने की गति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *