तिल के बीज किस वृक्ष से मिलते हैं? यह क्यों लाभकारी हैं? जानिए

तिल (sesame), Sesamum indicum विश्व के गर्म जलवायु वाले देशों ली जाने वाली एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसके पौधे लगभग एक मीटर तक ऊंचे होते हैं। तिल के बीज अधिकतर सफेद होते हैं, परन्तु वे काले, पीले, नीले या बैंगनी रंग के भी हो सकते हैं।

सभी तिलहनी फसलों के मुकाबले तिल में तेल का प्रतिशत सबसे अधिक (50% तक) होता है। साथ ही इसको उगाना भी अपेक्षाकृत सरल होता है। यही कारण है कि तिल का तेल खाद्य तेल के रूप विश्व की पहली पसंद है।

मानव सभ्यता के इतिहास में तिल का खाद्य तेल की तरह प्रयोग शायद सबसे पहले शुरू हुआ। पुरातत्व विशेषज्ञ बताते है कि भारत में तिल के उपयोग का इतिहास 5500 साल पुराना है।

तिल में सेसमीन नामक रसायन होता है जो एक असरदार एन्टीऑक्सिडेंट हैं। यह कैंसर कोशिकाओं की बृद्धि को रोकता है और इसी से तिल के सेवन से लंग, प्रोस्टेट व ब्रेस्ट में कैंसर होने की संभावना कम हो जाती हैं। सर्दियों में तिल का सेवन विशेष रूप से लाभकारी होता है। यह शरीर को गर्म रखता है, तथा शरीर की हड्डियों को भी मजबूती देता है। तिल के तेल में त्वचा और बालों को पोषित करने की खूबी होती है।

तिल उगाने के लिए गर्म जलवायु (23 °C से ऊपर) व अच्छी पानी निकासी तथा न्यूट्रल पीएच वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसकी अच्छी बृद्धि लिए 90 से 120 पाला रहित दिनों की जरूरत होती है। तिल के बीज कैप्सूलों में सुरक्षित होते हैं, जो पकने पर स्वतः चिटक जाते हैं।

तिल के 100 ग्राम बीजों से 573 कैलोरी की ऊर्जा मिलती है। इनमें 5% नमी, 23% कार्बोहाइड्रेट, 50% तेल और 18% प्रोटीन होती है। इनके अतिरिक्त तिल के बीजों में आयरन, मैग्नीशियम, कैल्सियम, फास्फोरस और जिंक जैसे खनिज व विटामिन्स भी पाये जाते हैं।

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