टीपू सुल्तान का इतिहास में क्यों नाम लिया जाता है ? जानिए

सबसे अधिक दूरदर्शी शासक जिसने यह जान लिया था कि भारत के असली शत्रु अंग्रेज़ हैं।

राज्य एवं जान गंवा दी मगर अंग्रेज़ों से संधि नहीं की।

विश्व की राजनीति पर पैनी नज़र। नैपोलियन, तुर्क सुल्तान और अफ़ग़ानिसतान के शासक से पत्र व्यवहार कर अंग्रेज़ों के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास।

मानव की स्वतंत्रता और बराबरी का पक्षधर। फ़्रेंच क्रान्ति के समय अपने राज्य में उस समय उपस्थित फ़्रांसीसी व्यक्तियों के साथ Tree of Liberty की स्थापना और क्रांति की शपथ स्वयं भी ली।

नई तकनीकों का पक्षधर। युद्ध में राकेट का प्रयोग पहली बार हैदर अली व टीपू सुल्तान ने किया। नासा में मैसूर सेना की राकेट टुकड़ी का चित्र स्वयं भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम ने देखा और अपनी पुस्तक में उल्लेख किया।

विद्वान और सामरिक विषयों की पकड़। टीपू ने यह भांप लिया था कि मात्र थल सेना से अंग्रेज़ों को नहीं हराया जा सकता है। एक शक्तिशाली नौसेना ही उनको हराने में सक्षम होगी। इसीलिए टीपू ने केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा करने का प्रयास किया। मंगलोर को बंदरगाह के रूप में विकसित किया। यह भी कहा जाता है कि टीपू सुल्तान ने एक युद्धपोत डिज़ाइन किया था।

अंग्रेज़ जानते थे कि अगर टीपू सुल्तान ने 10 वर्ष और राज्य कर लिया तो दक्षिण भारत उनके हाथों से निकल जायेगा। इसीलिए उन्होंने मराठों और निज़ाम की सहायता से टीपू सुल्तान को रास्ते से हटा दिया।

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