ज्यादातर रेल इंजन पर तुगलकाबाद या गाज़ियाबाद क्यों लिखा होता है? जानिए

 सभी जानते हैं कि भारतीय रेल में विभिन्न रेल इंजन भारतीय रेल के ही इंजन कारखानों में बनाए जाते हैं। जिनमें मुख्य तौर पर चितरंजन लोकोमोटिव कारखाना; डीजल इंजिन कारखाना वाराणसी और डीजल रेल इंजिन आधुनिकीकरण कारखाना पटियाला का नाम आता है।

इन कारखानों के अतिरिक्त एक और बड़ी सरकारी कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड यानी कि भेल या BHEL ने भी काफी सारे विद्युत इंजिन बना कर भारतीय रेल को दिए हैं जिसमे मध्य और पश्चिम रेल को काफी समय तक (पूरी तरह ए सी कर्षण में रूपांतरित होने तक) अपनी सेवाएं देने वाले WCAM 1/2/2P/3, ए सी/डी सी इंजिन प्रमुखता से आते हैं, इनके अलावा इरोड, झांसी एवं लुधियाना शेड को दिए गए कुछ WAG7 तथा WAG5 इंजन भी bhel द्वारा निर्मित किये गए थे।

और एक नया नाम सन 2015 में इस सूची में शामिल हुआ है विद्युत इंजन कारखाना मधेपुरा, जहाँ से भारतीय रेल को अगले 11 सालों में 12000 हॉर्स पावर के कुल 800 विद्युत इंजन प्राप्त होने वाले हैं।

इस तरह इन चार कारखानों में उत्पादित होकर विद्युत और डीजल इंजिन जरूरत, माँग, क्षमता इत्यादि बातों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग क्षेत्रीय रेलवे में स्थित 49 डीजल लोको शेड और 29 विद्युत लोको शेड को क्रमशः आबंटित कर दिए जाते हैं, यानी कि कमीशनिंग के बाद का सारा बड़े स्तर का रखरखाव जैसे कि मासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक, द्वी वार्षिक, आवधिक इत्यादि मरम्मत कार्य अब ये लोको शेड करेंगे।

हाँ जितने रेल इंजिन तुगलकाबाद और गाज़ियाबाद लोको शेड को आवंटित किए गए हैं उनपर अवश्य ही ऊपर बताये गए अनुसार उनके सीरियल या लोको नंबर एवं मॉडल नंबर के साथ ही यदि तुगलकाबाद लोको शेड का है तो तुगलकाबाद अन्यथा गाज़ियाबाद लिखा जाता है। और बाकी रेल इंजिनों पर वो जिस लोको शेड के अंतर्गत आते हैं या आवंटित हुए हैं, उसी लोको शेड का नाम लिखा जाएगा जैसे कि कानपुर, झांसी, लुधियाना इत्यादि

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