जानिए सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

विज्ञान, धर्म, आस्था और जीवन में सूर्य का विशेष स्थान है। हिंदू धर्म के के अनुसार सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं। शास्त्रों में सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है। इसी रूप में सूर्य की उपासना की जाती है। पुराणों में हर महीने सूर्य की विशेष रूप से पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र में सूर्य विशेष स्थान है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय पौष का महीना चल रहा है, जो कि 28 जनवरी तक रहेगा फिर उसके बाद माघ महीने की शुरुआत होगी। पौष का महीना दसवां महीना होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की अपनी खासियत होती है और हर एक महीना किसी न किसी देवी- देवता के की खास पूजा-अर्चना के लिए होता है। पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस महीने में ठंड अधिक बढ़ जाती है।

सूर्य देव की होती है उपासना
पौराणिक ग्रंथों की मान्यता अनुसार पौष मास में सूर्य देव की उपासना उनके भग नाम से करनी चाहिए। पौष मास के भग नाम सूर्य को ईश्वर का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने व इनका उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस मास प्रत्येक रविवार व्रत व उपवास रखने और तिल चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है।

पौष माह में सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
सभी 12 महीनों में पौष के महीने में ठंड बहुत ही अधिक होती है। अधिक ठंड होने के कारण इस माह में त्वचा संबंधित परेशानियां बढ़ने लगती है। ऐसे में रोजाना सूर्य देव को जल देने और उपासना से हमारा शरीर उनकी किरणें के संपर्क में आता है। जिस कारण से त्वचा संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। सूर्य की रोशनी में बैठने से हमें विटामिन- डी मिलता है और आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद भी मिलती है। सूर्य को जल का अर्घ्य देने से हमारे शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं, क्योंकि सुबह की सूर्य की किरणें व्यक्ति को सेहतमंद बनाने में मददगार होती हैं।

वैदिक शास्त्र में सूर्य का महत्व
वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है। पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई। जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए। प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं। सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं।

सूर्य की साधना का दिन रविवार
रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

सूर्य साधना की विधि
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

सूर्य मंत्र
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।

ॐ घृणि सूर्याय नमः।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।

कमेंट में बताये आपको ये जानकारी कैसी लगी
और हमरे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com