जानिए राम जी के जाने के बाद हनुमान जी कहां गायब हो गए?

दरअसल रामायण के बाद महाभारत में ही 2 बार हनुमान जी के होने की बात की गई है पहली बार जब भीम जंगल में थे तो रास्ते में उन्हें एक बुजुर्ग वानर मिला.

भीम ने उसे अपने रास्ते से हटने को कहा लेकिन उस वानर ने कहा कि तुम हटा दो मुझ पर इतनी शक्ति नहीं रही तब भीम ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी पर उस वानर को हिला तक नहीं सके तभी भीम समझ गए कि यह कोई साधारण वानर नहीं है फिर भीम की मांग पर उस वानर ने अपना असली रूप दिखाया वह हनुमान जी थे. तब भीम को बहुत ही आश्चर्य हुआ था.

भगवान हनुमानजी को देखते ही भीम की आँखें चौंधिया गई. वो उन्हें देखते ही एकटक बस देखते ही रह गए. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि सच में ये हनुमान जी ही हैं.

असल में भगवान हनुमानजी भीम की शक्ति का घमंड तोड़ने का सबक देने आए थे. इसके बाद हनुमान जी अर्जुन के रथ पर उनका ध्वज बनकर पूरे महाभारत के युद्ध में उनकी रक्षा करते रहे जब अंत में हनुमान जी अपने असली रुप में आए और वहां से चले गए उसके बाद कुछ क्षणों में अर्जुन का रथ युद्ध में राख बन गया तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वह हनुमान जी थे जिनकी वजह से रथ युद्ध में नष्ट नहीं हुआ. अर्जुन को इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था.

सिर्फ इतना ही नहीं उसके बाद भी दुनिया के कई हिस्सों में कई बार लोगों ने हनुमान जी के होने की बात कही. चीन, इंडोनेशिया,कंबोडिया में भी हनुमान जी की अलग-अलगनामों से हनुमान जी की कहानियां सुनाई जाती है.

अफ्रीका से लेकर अमेरिका तक शक्तिशाली वानर होने की की बातें की जाती है. चौदवी सदी में ऋषि माधवाचार्य ने भी हनुमान जी के साक्षात भेंट होने की बात की थी सतहरवी सदी में तुलसीदास ने भी माना था हनुमानजी ने ही उन्हें उन्हें रामायण का हिंदी अनुवाद करने को कहा इसके बाद और लोगों ने भी हनुमान जी को देखने और उनके होने का दावा किया. इस तरह से आज भी लोग हनुमान जी के होने की बात करते हैं. लोगों का कहना है कि माता सीता ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था.

अगर आप भी सच्चे मन से भगवान हनुमानजी की आराधना करेंगे तो आपको सच में भगवान् दिखाई देंगे. आपके अन्तः मन में भगवान दिखाई देंगे.

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