जानिए भोजन करने की सही दिशा कौन सी है

आप भोजन कौन सी दिशा में कर रहें हैं? इसका वास्तु के अनुसार बहुत महत्व है और आपके स्वास्थ और शरीर पर भी इसका अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ता हैं।

पूर्व दिशा- पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से बीमारी दूर होती हा। बुजुर्ग लोगों के लिए यह दिशा बहुत अनुकूल है। दिमाग को स्फूर्ति मिलती है,अच्छा स्वास्थ प्राप्त होता है, भोजन जल्दी से पचता है व् रक्त संचार को दुरुस्त करता है।

उत्तर दिशा-जो लोग लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते है, विद्या प्राप्त करना चाहते है, ईश्वरीय शक्ति प्राप्त करना चाहते है तो उन्हें उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए।

पश्चिम दिशा- व्यापारिक,व्यवसायिक या नोकरी पैशा लोगों के लिए या फिर उन लोगों को जिनका दिमाग से सबंधित कार्य हो, उनको पश्चिम दिशा की ओर मुख कर भोजन करना चाहिए।

दक्षिण दिशा- दक्षिण दिशा की ओर मुख कर भोजन नहीं करना चाहिए। अगर समूह में बैठकर भोजन कर रहे हैं तो किसी भी दिशा का दुष्प्रभाव नही पड़ता है।

साधारणतः हम सभी लोग भोजन करते समय अपना मुख किसी भी दिशा में करके ही करते है।

यदि हम वास्तु दिशा के अनुसार भोजन करते है तो इसका हमारे जीवन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

इन्हीं छोटे छोटे प्रयासों से हम अपने जीवन में सुधार ला सकते है। क्योंकि अगर दिशा सही हो तो दशा स्वयं सुधर जाती हैं।

मानव जीवन में अनेक कष्ट एवं कठिनाइयां केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण ही आती हैं। मात्र दिशाओं में कुछ परिवर्तन करके जीवन में सुख, शांति, विकास, इच्छापूर्ति आदि को पाया जा सकता है।वास्तु शास्त्र के अपने कुछ नियम होते है जिनका अगर

हम सही तरीके पालन करें तो हम हमारे जीवन बोहत से

सकारात्मक बदलाव देखने मिलेंगे।

भोजन की तरह ही शयन की दिशा का भी प्रभाव स्वास्थ्य, आर्थिक एवं मानसिकता पर पड़ता है। शयन करते समय शयनकर्ता का सिर पूर्व की ओर होने से अच्छी नींद आती है। मस्तिष्क तरोताजा एवं शरीर स्वास्थ रहता है। धार्मिक, आस्थावान एवं आध्यात्मिक लाभ की कामना वाले व्यक्तियों को हमेशा पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से भी अच्छी नींद आती है तथा आय में वृद्धि होती है। पश्चिम दिशा की ओर सिर करके शयन करने से आयु का क्षय होता है एवं तनाव उत्पन्न होता है। अपने घर में शयन करते समय पूर्व दिशा की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर सिर करके शयन करने से आयु का क्षय होता है एवं तनाव उत्पन्न होता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके सोने से चिंताएं भी उत्पन्न होती हैं।

ससुराल में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके शयन करना चाहिए। यात्रा में पश्चिम दिशा की ओर सिर करके शयन करना उत्तम माना जाता है। यात्रा में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सोने से हानि हो सकती है। घर में पूर्व-उत्तर कोण (ईशान कोण) में उपासना गृह बनाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उपासना करने से शीघ्र ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। दोपहर तक पूर्व दिशा की ओर तथा दोपहर के बाद पश्चिम दिशा ओर मुख करके पेशाब करने से शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक हानि उठानी पड़ सकती है।

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