जानिए भारतीय क्रिकेट के रहस्य का सच क्या है?

1. 2000 मैच फिक्सिंग कांड

साल 2000 में हुए इस कांड ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। साल 2000 में दिल्ली पुलिस ने साउथ ​अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए और अंडरवर्ल्ड के बीच होने वाली बातचीत को ट्रेस किया था। शुरुआती जांच के बाद क्रोनिए ने कई अन्य क्रिकेटर्स का नाम भी इस कांड में लिया था। इनमें भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन, मनोज प्रभाकर, अजय जडेजा भी शामिल थे।

बाद में, भारत सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच का फैसला लिया। जांच में अजहर ने ये स्वीकार किया कि उन्होंने ही बुकीज को क्रोनिए के पास जडेजा की मदद से भेजा था। वहीं 27 नवंबर 2020 को अजहरुद्दीन को दोषी पाया गया। उन पर लाइफ बैन लगाया गया। जबकि अजय जडेजा पर 5 साल का बैन था जो जल्दी ही सबूतों के अभाव में उठा लिया गया।

2. मंकी गेट कांड

इस विवाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी एंड्रयू साइमंडस ने भारतीय बॉलर हरभजन सिंह पर नस्लीय टिप्पणी करने के आरोप लगाए थे। इस विवाद ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। हरभजन सिंह पर 3 मैचों के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि बाद में इस बैन को सस्पेंड कर दिया गया था।

3. माइक डेनेस बनाम भारत

साल 2001 के नवंबर में इंडिया और साउथ अफ्रीका के बीच टेस्ट क्रिकेट खेला गया था। मैच जीतने के लिए भारत को 395 रन का लक्ष्य मिला था। माइक डेनिस इस मैच के रेफरी थे। मैच के तीसरे दिन सचिन ने 4 ओवर बॉलिंग की थी।

डेनेस को शक हुआ कि सचिन ने बॉल के साथ छेड़खानी की है। डेनेस ने इसके बाद चौथे दिन टीम इंडिया को सूचित किया कि वह सचिन को बॉल टेंपरिंग के कारण बैन कर रहे हैं। जबकि सौरव गांगुली को खिलाड़ियों द्वारा गैर जरूरी अपील करने से न रोकने के लिए एक साल तक सस्पेंड किया गया था।

वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, दीप दास गुप्ता और शिव सुन्दर दास को भी एक मैच के लिए प्रतिबंधित किया गया था। जबकि इनकी मैच फीस भी 75% तक काट ली गई थी। इसके बाद बीसीसीआई और साउथ अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड ने डेनेस को हटाने की मांग की। इस विवाद के बाद टीम इंडिया बिना फाइनल खेले हुए भारत लौट आई और फाइनल मैच को अनाधिकारिक तौर खेला गया। जिसमे साउथ अफ्रीका की एक पारी और 73 रन से जीत हुई।

4. आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग कांड

साल 2012 में एक भारतीय न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया था। इस स्टिंग में ये आरोप लगाया गया कि पांच खिलाड़ियों ने स्पॉट फिक्सिंग के बदले पैसे की मांग की थी। इस घटना के बाद बीसीसीआई ने टीपी सुधींद्र पर लाइफटाइम जबकि शलभ श्रीवास्तव पर 5 साल का बैन लगा दिया था।

लेकिन साल 2013 में, दिल्ली पुलिस ने एस. श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजीत चंदलिया को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। मामले ने तब और जोर पकड़ा जब चेन्नई सुपर किंग के प्रमुख और एन. श्रीनिवासन के दामाद, गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक राज कुंद्रा को भी गिरफ्तार किया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया जिसके बाद, लोढ़ा कमिटी ने इस मामले में सीएसके और राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिए बैन कर दिया।

5. ग्रेग चैपल बनाम सौरव गांगुली (2005-2007)

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ग्रेग चैपल और भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली की पहली मुलाकात साल 2003 में ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। वहां पर चैपल ने गांगुली को कुछ टिप्स दिए जिनकी मदद से टीम इंडिया ने हुई चार मैचों की टेस्ट सीरीज और तीन देशों की एकदिवसीय शृंखला में कहर ढा दिया। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को महज 144 रन पर आउट होना पड़ा। बाद में कोच जॉन राइट के जाने के बाद कोच चुनने की बात आई तो ग्रेग चैपल गांगुली की पहली पसंद थे।

कई लोगों ने गांगुली को इस बात के लिए समझाया कि ग्रेग का मैन मैनेजमेंट अच्छा नहीं है। यहां तक कि ग्रेग के भाई इयान चैपल तक ने मना किया। लेकिन गांगुली नहीं माने और ग्रेग चैपल टीम इंडिया के हेड कोच बन गए। कोच बनने के बाद, गांगुली और ग्रेग के बीच मतभेद होने लगे। यही नहीं, चैपल के कारण ही बाद में गांगुली के टीम से बाहर जाने का रास्ता बनाया जाने लगा। चैपल के फैसलों से टीम में आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे।

यही नहीं, चैपल ने बीसीसीआई को मेल भी लिखे जो बाद में ​लीक हो गए। उसमें लिखा गया था कि गांगुली ने टीम के खिलाड़ियों का भरोसा खो दिया है। वह टीम को लीड करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं हैं। उनकी मौजूदगी से टीम के 2007 वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद पर भी सवाल उठाए गए।

गांगुली पर इंजुरी से जूझने के झूठे आरोप भी लगाए गए थे। बाद में, ईमेल लीक कांड के कारण पूरे देश में लोग सड़कों पर निकल आए थे और जोरदार प्रदर्शन किया था। बाद में कई अन्य विवाद हुए जिसके कारण ग्रेग को टीम इंडिया छोड़कर जाना पड़ा।

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