जानिए, क्यों लगाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी पर 56 भोग

1.आठ पहर भोजन करते थे कृष्ण

भगवान श्री कृष्णा 1 दिन में 8 बार का भोजन करते थे इस बात का उल्लेख हिंदू धर्म शास्त्र में भी किया गया है भगवान श्री कृष्ण जब बाल अवस्था में थे तो उनकी मां यशोदा उन्हें हमेशा अपने हाथों से भोजन करती थी और उनकी देखभाल करती थी एक बार जब गोकुल में बारिश नहीं हो रही थी तो लोगों ने भगवान इंद्र को खुश करने के लिए एक बड़े या का आयोजन किया था तब भगवान इंद्र गोकुल वासियों की बात को नकार दिया और वर्षा करने से मना कर दिया था भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र को समझाया और उन्हें बताया कि उनका कर्तव्य क्या है जब इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने गोकुल में वर्षा करवाई और जिसके कारण वहां के लोगों ने श्रीकृष्ण को 8 तरह के भोजन का सेवन करवाया था।

इंद्र को गुस्सा आ गया। जब गोकुल वासियों ने वर्षा आने के लिए भगवान इंद्र की पूजा करने की बात कही तो तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि अगर पूजा करना यह तो गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए क्योंकि उसी के कारण हमारे इस नगर में वर्षा होती है इस बात को सुनने के बाद इंद्र काफी विरोध में आ गए और उन्होंने गोकुल को बर्बाद करने के लिए अधिक मात्रा में वर्षा करनी चालू कर दिया था तब भगवान श्री कृष्ण ने अपने कानी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल वासियों की रक्षा की थी।

बृज वासियों की रक्षा की। जब गोकुल में अधिक मात्रा में वर्षा होने लगी तो वहां के निवासी अपने घर बार छोड़कर यहां-वहां भागने लगे अपनी जान की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगे तभी भगवान श्री कृष्ण ने अपने अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सारे नगरवासियों की रक्षा की। 7 दिनों तक भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा रखे बिना कुछ खाए पिए।

4.ब्रजवासियों ने बनाए 56 भोग। जब गोकुल में वर्षा होने बंद हो गई तो सभी नगर वासी पर्वत से बाहर निकले और उन्होंने श्रीकृष्ण के जयकारे लगाए और साथ में उन्हें भोजन के रूप में 56 भोगों का सेवन करें आया क्योंकि उनका मानना था कि श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक बिना कुछ खाए पिए उनकी रक्षा की इसी कारण से वहां के वासियों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग का सेवन कराया था। तभी से श्रीकृष्ण को छप्पन भोग चढ़ाने का प्रचलन आरंभ हुआ।

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