जानिए आखिर शीतला माता को ठंडा भोजन क्यों चढ़ाया जाता है?

शीतला माता हमेशा अपने भयंकर रूप में ही रहतीं हैं, और जब कोई अधिक क्रोध में होता है तो उसके सामने हमेशा नम्र होकर बात करें तो क्रोध भी शांत हो जाता है।

जिन लोगों के ऊपर इनका प्रकोप होता है, उन्हें डॉ भी मूंगदाल की खिचड़ी या ठंडी चीजों को खाने के लिए कहते हैं। कहते हैं, टाइफाइड या चेचक इनके प्रकोप से होता है।

तो स्वयं शीतला माता के बारे में तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता। इसलिए इनकी पूजा में भी हमेशा नीम की पत्तियां, कपूर और ठंडी वस्तुएं ही रखी जाती हैं।

और इनका भोजन भी रातों रात तैयार करने के बाद ही भोग लगाया जाता है। रात्रि भी ठंडी होती है, पहले के लोगों में यही मान्यता थी कि, ऐसा करने से शीतला माता हमेशा शीतल रहतीं हैं और अपना प्रकोप पूजा चढ़ाने वाले परिवार पर नहीं डालती।

जब शीतला माता की पूजा की जाती है उस समय इस भोजन को बासी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि जब तक इनका पूरा भोजन तैयार किया जाता है, तब तक चार या पांच ( सुबह के) बज ही जातें हैं।

वो भोजन ना ही अधिक गर्म और ना ही अधिक ठंडा होता है। लेकिन भोग लगाने के बाद दिन में उस प्रसाद को जब सब लोग पाते हैं तो वो ठंडा ही होता है।

ये मान्यता उस जमाने से चली आ रही है जब फ्रीज़ और गैस, स्टोव आदि का आविष्कार भी नहीं हुआ था। अब तो फ्रीज़ में रखकर बाद में गरम करके भी खाया जा सकता है।

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