जानिए आखिर किसने अपने बादशाह पति के लिए मकबरे का निर्माण कराया था?

हमीदा बेगम बानू, बादशाह हुमायूँ कि वेवा अकबर कि माँ ने अपने पति हुमायुँ कि याद में अकबर का राज्य मज़बूती से स्थापित हो जाने के बाद हुमायूँ मकबरे का निर्माण करवाया अपने स्वर्गीय पति कि याद में. यह ईरानी शैली में बना हुआ है. इसके निर्माण हेतु ईरान से हि निर्माणकर्ता बुलाये गए थे. हुमायूँ कि मृत्यु 1556 में हो गयी थी और हुमायूँ को 1540–1555 तक भारत से निर्वासित रहना पड़ा था. शेरशाह सूरी ने इसे भारत से कन्नौज में हराकर बाहर कर दिया था.

इसी को ताजमहल कि प्रेरणास्रोत माना जाता है. यह मुग़ल काल कि सबसे सुंदर इमारत है. इसमें अनेक मुघल शहज़ादों के शव दफन है. 1857 में अंग्रेजी फॉज के सिपाहियों के विद्रोह को दबाकर, अंग्रेजों ने अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर को यही से गिरफ्तार किया था.

हुमायूँ दूसरा मुग़ल बादशाह था और अपने पिता प्रथम बादशाह बाबर के 1530 में निधन के बाद दिल्ली आगरे का बादशाह बना. यह फिलिंग पर 1530 से 1540 तक शाशन किया लेकिन ठीक से जम नहि पाया और अफ़ग़ानिस्तान तथा देशी हिंदू राजाओं से लड़ते हुए कभी इधर कभी उधर भाग दौड़ में ही लगा रहा. इसने बहादुर शाह और शेरशाह सूरी से कई युद्ध किये. इसके भाई हिन्दाल अक्सरी और कामरान भी बुरे समय में साथ छोड़ गए. अकबर का जन्म भी 1542 में सिंध के उमरकोट में हिंदू राणाओं कि रियासत में हुमायूँ को शरण देने के समय हुआ और यह इस समय भागकर ईरान चला गया.

ईरान में हुमायूँ ने शिया इस्लाम अपनाया. इस समय ईरान के शाह तहमास्प थे. शाह ने हुमायूँ को कंधार छीनने कि मुहीम पर लगा दिया. इसने कंधार छिना भी और सही हालत होने पर उस पर सपना अधिकार कर लिया. इसने कामरान को अँधा करवा कर अकबर को उससे अपने अधिकार में लेकर कामरान को हज करने मक्का भेज दिया और वह रास्ते में मर गया. इसने हिन्दाल के हुमायूँ के लिए युद्ध में मरने पर उसकी बेटी रुबैया का निकाह अपने भी अकबर से करा दिया.

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