जानिए आखिर आपराधिक मामलों की ‘केस डायरी’ क्या होती है?

जिसमे तफ्तीश संबंद्धित पर्चो दर्ज होने से लेकर चार्जशीट तक हर वेरवा दर्ज होता है। कब कब व किस समय इन्वेस्टिगेशन अफसर ने क्या क्या किया। समय, तारिक ओर तरबतीर बार वेरवा दर्ज होता है ताकि किसी भी तफ्तीश पर उंगली ना उठ सके। यह डिपार्टमेंट के अंदरूनी डॉक्यूमेंट होता है व हर तफ्तीश का भेद भी खोल सकता है। वकील को हर डॉक्यूमेंट मिल जाता/सकता है पर केस डायरी जल्दी कही नही मिलती।

मेरे साथ भी एक बार ऐसे हुआ था एक मर्डर केस में केस डायरी हाथ लग गयी। उसमें मुजरिम को कैसे गिरफ्तार किया गया था के बारे साफ वेरवा था जबकि चार्जशीट में कोई जिक्र नही था और कोई और घटना बना दी। हमने जिस केस में पहले मुजरिम को पकड़ा था उसकी कॉपी निकलवा कोर्ट से ले ली।

अब पुलिस ऑफिसर की जांच शुरू हो गयी कि वकील के पास कैसे केस डायरी पहुच गयी। अफसर मेरे पास आया। मैंने तुरन्त जवाब दिया कि मुजरिम को जिस केस में पहले पकड़ा था वही से सारी डिटेल मिली थी। मैंने कोर्ट से ली कॉपीज भी दी। तब जाकर मेरे दोस्त की जान छुट्टी जिसने डायरी दी थी।

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