जहांगीर के बाद दिल्ली के सिंहासन पर कौन बैठा? और क्यों

जहांगीर के बाद मुग़ल बादशाह कि कुर्सी पर नूरजहां ने अपने दामाद और जहांगीर के सबसे छोटे बेटे शहरयार को बिठाया, क्योंकि खुर्रम जिसे जहांगीर ने उत्तराधिकारी घोषित कर रखा था , उस समय दिल्ली शहर से बाहर था और नूरजहां चाहती थी कि शाशन पर उसका नियंत्रण बना रहे. अतः उसने अपने दामाद और जहांगीर के सबसे छोटे बेटे शहरयार को लाहौर मे गद्दी पर बिठाया गया.

जहांगीर कि सबसे बढ़ी बेगम मानमति बाई आमेर के राजा भगवान दास के बेटी मानसिंह कि बहन थी. इससे जहांगीर को सबसे बड़ा बेटा खुसरो पैदा हुआ जिसने जहांगीर से बादशाह कि कुर्सी को लेकर विद्रोह किया. जहांगीर ने इसे कैद करके आंखे फुड़वा दी थी. जहांगीर कि दूसरी बेगम मारवाड़ के राजकुमारी जगत गुसाईं थी जिससे खुर्रम पैदा हुआ. खुर्रम को अकबर ने विशेष ध्यान दिया और अपनी बेगम रुकय्या से उसका ललन पालन करवाया. रुकैय्या बेगम जगत गुसाईं से थोड़ा नाखुश रहती थी खुर्रम के ही कारण.

मेहरुन्निसा जो कि ईरानी थी ग्यास बेग कि बेटी थी जिसे सलीम बहुत पसंद करता था और खूबसूरती के कारण अकबर ने इसका विवाह सलीम को परेशान करने के लिए अफगानी सरदार से करवा दिया था. बाद मे इससे जहांगीर ने विवाह किया और इसका ही नाम नूरजहां हुआ. जहांगीर के राज्य के समय असल शक्ति नूरजहां के ही हाथ रही. जहांगीर ने अकबर कि मृत्यु के बाद सन 1605 से 1627 तक 22 साल तक शाशन किया.

जहांगीर कि मृत्यु 1627 मे कश्मीर से लाहौर आते हुए रास्ते मे हुयी थी. नूरजहां ने अपने दामाद, aपनि पुत्री लाडली बेगम के शोहर शहरयार को लाहौर मे बादशाह घोषित करवा दिया. इस समय दिल्ली आगरा मे कोई भी शेह्ज़ादा उपस्थित न था. अब तक जहांगीर के ढो बेटे शेह्ज़ादा खुसरो और परवेज़ कि मृत्यु हो चुकी थी तथा खुर्रम दक्क्न मे था बीजापुर से लड़ने गया था और शहरयार लाहौर मे.

शहरयार के बादशाह होते ही नूरजहां के भायी आसिफ खान ने शहरयार से युद्ध घोषित कर दिया खुर्रम के पक्ष मे और उसे हराकर बंदी बना लिया और खुर्रम को दिल्ली आने हेतु बुलावा भेजा. खुर्रम जो कि मुमताज़ का शोहर था नूरजहां के भाई का दामाद था. मुमताज़ आसिफ खान कि बेटी थी और बला कि खूबसूरत थी. नूरजहा ईरानी थी और इनके पिता ग्यास बेग अकबर के समय मे भारत रोजगार कि तलाश मे आये थे. गुएसबेग को नूरजहां ने एत्माद्दौला का ख़िताब दिलवाया और लाहौर का गवर्नर वनवाया. नूरजहां ने ही आसिफ खान को भी बाद मे लाहौर का गवरनर बनवाया.

नूरजहां का पहला पति अफगानी था तथा उससे नूरजहां को एक पुत्री थी जिसका नाम लाडली बेगम था. जहांगीर ने नूरजहां के पति शेर अफ़ग़ान जो बंगाल मे वर्धमान कि रियासत का जागीरदार जिसे अकबर ने बनाया था, एक अफगानी मुग़ल अफसर था. उसका वध जहांगीर ने षणयंत्र करके करा दिया था.

इसी कि पुत्री का विवाह नूरजहां ने जहांगीर के सबसे छोटे बेटे शहज़ादे शहरयार से सन 1620 मे कर दिया था. नूरजहां इसको ही बादशाह बनाना चाहती थी. रियासत के सभी फैसले जहांगीर के नाम पर नूरजहां ही करती थी. यह जहांगीर कि 20 वि बेगम थी. इसका शाशन पर सीधा हस्तक्षेप था. बाद मे नूरजहां को खुर्रम ने कैद कर लिया और शहरयार को मरवा दिया और खुर्रम ही बादशाह शाहजहां बन गया. शाहजहां खुर्रम को जहांगीर ने पदवी दी थी. इसको बादशाह बनवाने मे इसके ससुर, बेगम मुमताज़ महल के पिता, नूरजहां के भाई आसिफ खान का मुख्य भूमिका थी. मुग़लों मे उत्तराधिकार के लिए खून खराबा होना एक आम बात थी.

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