जयपुर के जलमहल में ऐसी कौनसी तकनीक इस्तेमाल की गई है कि वह इतने सालों से पानी में रहकर भी खड़ा है?

जल महल जयपुर के शासक सवाई जयसिंह द्वारा सन् 1799 में जयपुर में अकाल के दौरान पानी की कमी ना हो, इसलिए अरावली की पहाड़ियों के गर्भ में बनाया गया। यहां पर अरावली की पहाड़ियों से बरसात के दौरान व्यर्थ बह जाने वाले पानी को सहेज कर मानसागर झील बनाई गई ,जिसके अंदर एक पंच मंजिला महल का निर्माण किया गया ,ताकि पानी की समस्या को दूर किया जा सके तथा गर्मियों के वक्त राजा और रानी वहां पर भ्रमण कर सकें।

इस पंच मंजिला महल में जिसकी चार मंजिल हमेशा ही पानी में डूबी रहती है और सिर्फ एक मंजिल नजर आती हैं। इस महल के किसी भी कोने से पानी का रिसाव नहीं होता है क्योंकि इसे बनाने में मजबूत चूना पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और काफी मोटी मोटी दीवारें बनाई गई हैं। जल महल का निर्माण आवासीय तौर पर ना होकर एक पिकनिक स्पॉट के तौर पर किया गया था इसी वजह से आपको आश्चर्य होगा कि जल महल के अंदर कोई भी कमरा नहीं है। इस महल के अंदर सिर्फ गलियारे और छत पर बगीचा ही है । इससे पता चलता है कि हमारी प्राचीन भवन निर्माण तकनीक कितनी समृद्ध थी।

हालांकि कुछ सुरक्षा कारणों की वजह से पर्यटकों इसके अंदर जाने की अनुमति नहीं है, वही समय-समय पर इसका रखरखाव राजस्थान सरकार द्वारा किया जाता रहा है।

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