छठ माता कौन हैं और उनकी पूजा क्यों की जाती हैं?
छठी माता का मतलब छठ की माता। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो हिंदुस्तान में लगभग हर लोग उस की छठी मनाते हैं। यानि छठे दिन जिन माता की पूजा होती है। वही छठी माता हैं।
पहले के जो सेठ , मुनीम होते थे वो लक्ष्मी जी की पूजा करके दिवाली। अपना खता वाला लाल किताब बंद करते थे। यानि अपना फाइनेंसियल ईयर क्लोज करते थे। मतलब दिवाली के बाद कारोबारी नया साल मानते थे।
जिस तरह आदमी के जन्म के 6 दिन के बाद छठ पूजा होती है। उसी तरह पुराना फाइनेंसियल ईयर दिवाली के ठीक 6 दिन के बाद छठ पूजा का विधान है।
छठी माता जो है वो षष्ठी माता है , छठी माता जिनका 6 मुख है। ये कार्तिकेय भगवन जी की पत्नी का विकराल या भव्य रूप है।
कहते हैं कि इसकी शुरुआत पार्वती जी ने की थी , देवसेना के के लिए और आज भी इस पर्व को मनाते हैं।
यहाँ के मैक्सिमम लोगो को बात मालूम नहीं है। कोई इनको सूर्य भगवान की बहन, तो कोई कुछ बोलते है , ज्यादातर लोगो को ये बात मालूम नहीं होता है। ज्यादातर बिहार -झारखण्ड के लोगो को जो इस पूजा को करते हैं उन्हें ये बात नहीं पता है।
सूर्य को अर्क जो हम देते है वो छठी माता को अर्क देते हैं। सूर्य देवता के माध्यम से। क्युकी ये प्री- वैदिक कल्चर है। यानि वेदो से पहले से चली आ रही परंपरा। इसलिए इसमें ब्राह्मण कि जरुरत नहीं पड़ती। न ही मंदिर की , ये नेचर की पूजा के जरिये यानि प्रकृति पूजा के जरिये हम लोग छठी माता को पूजते हैं।और इसको हर जाती के लोग करते हैं।
सूर्य को अर्क देने के कारण बहुत से लोग अनुमान लगते है की ये सूरज भगवान की बहन – बेटी हैं। पर ये गलत है।