चीन की दीवार की खास बात क्या हैं? चीन की दीवार का इतिहास क्या हैं?
चीन के पूर्व सम्राट किन शी हुआंग की कल्पना के बाद दीवार बनाने में करीब 2000 साल लगे.
इस दीवार का निर्माण किसी एक सम्राट द्वारा नहीं किया गया बल्कि कई सम्राटों और राजाओं द्वारा कराया गया था.
इस दीवार को 1970 में आम पयर्टकों के लिए खोला गया था.
इस दीवार की लंबाई 6400 किमी. है, ये दुनिया में इंसानों की बनाई सबसे बड़ी संरचना है.
दीवार को बनाते समय इसके पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था.
यह पूरी एक दीवार नहीं है बल्कि छोटे-छोटे हिस्सों से मिलकर बनी है.
इस दीवार में कई खाली जगहें भी हैं यदि इन खाली जगहों को भी जोड़ दिया जाये तो इसकी लम्बाई 8848 किमी. हो जाएगी.
इस दीवार की चौड़ाई इतनी हैं कि एक साथ 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गस्त कर सकते हैं.
इस दीवार की ऊंचाई एक समान नही है किसी जगह यह 9 फुट ऊंची है तो कहीं पर 35 फुट ऊंची है.
इस दीवार से दूर से आते शत्रुओं पर नजर रखने के लिए कई जगह मीनारें भी बनायीं गयी थीं.
चीन की विशाल दीवार को दुश्मनों से देश की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल परिवहन और सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचाने के लिए किया जाने लगा था.
इस चीनी दीवार को देश की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन यह दीवार अजेय न रह सकी क्योंकि चंगेज खान ने 1211 में इसे तोडा और पार कर चीन पर हमला किया था.
चीनी दीवार को यूनेस्को ने 1987 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था.
1960-70 के दशक में लोगों ने इस दीवार से ईंटें निकालकर अपने लिए घर बनाने शुरू कर दिए थे लेकिन बाद में सरकार ने सुरक्षा बाधा दी थी. हालाँकि चोरी आज भी होती है और तस्कर बाजार में इसकी एक ईंट की कीमत 3 पौंड मानी जाती है.
ग्रेट वॉल ऑफ चायना का एक तिहाई हिस्सा गायब हो चुका है. इसका कारण दीवार के सही रखरखाव की कमी के अलावा मौसम का प्रभाव और चोरी भी है.
ऐसा कहा जाता है कि इस दीवार को बनाने में जो मजदूर कड़ी मेहनत नही करते थे उन्हें इसी दीवार में दफना दिया जाता था.
आकंड़ों में अनुसार इसे बनाने में करीब 10 लाख लोगों ने जान गवाई थी. इसी कारण इस दीवार को दुनिया को सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है.
यह एक मात्र मानव निर्मित संरचना है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है.