चाणक्य ने चंद्रगुप्त की सेना में विष कन्याएं क्यों और किस वजह से शामिल की थीं?
दुनिया मे 3 बड़े कूटनीतिज्ञ माने जाते हैं जो बिना हथियार उठाये परिस्थितियों को अपनी तरफ करने की क्षमता रखते थे। श्री कृष्ण, चाणक्य और शकुनि। मेरे हिसाब से शकुनि एक धूर्त था इसलिए उसकी बात नही करूँगा।
चाणक्य और कृष्ण दोनों की एक स्पष्ट नीति थी कि युद्ध तब तक न किया जाए जब तक एक भी रास्ता खुला हो ।
युद्ध मे कोई जीते – कोई हारे, पर कमज़ोरी दोनों पक्ष कि होती है इसलिए ये लोग दुश्मन को मारने के लिए युद्ध के अलावा कुछ अन्य तरीके अपनाते थे।
जैसे कृष्ण के संदर्भ में कथा मशहूर है कि कालयवन की बड़ी सेना के सामने उन्होंने कालयवन को द्वंद युद्ध की चुनौती दी और ऋषि मुचुकन्द के द्वारा उसको मरवा दिया। रणछोड़ नाम की कहानी यही है।
चाणक्य भी दुश्मन राजाओं,सेनापतियों को मारने के लिए विषकन्याओं का उपयोग करते थे। ये कैसे चुनी जाती थी, कैसे विषकन्या बनाई जाती थी ये बाकी उत्तरों में लिखा गया है।
आखिरी बात,युद्ध बहुत ही महंगा पड़ता है, जैसे हम पाकिस्तान के बारे में सुनते रहते है कि उनके पास 7 दिन से ज्यादा युद्ध लड़ने के लिए धन ही नही है। चाणक्य खुद एक बड़े अर्थशास्त्री थे इसलिए युद्ध को जितना हो सके avoid करते थे।