घर पर बनाई जाने वाली रोटियों में से प्रथम व अंतिम रोटी पर किसका अधिकार होता है? जानिए

गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दुग्ध प्रदान करती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है, मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों की यात्रा करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है यहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।

गाय ही व्यक्ति को मरने के बाद वैतरणी नदी पार कराती है, भारत में गाय को माता माना जाता है इस में देवताओं का वास माना गया है।

वैदिक सनातन संस्कृति में गाय को पहली रोटी खिलाने की परंपरा है,

  • ऐसा करना शुभता दायक माना गया है।
  • गाय को रोटी को खिलाने से पितृदोष दूर होगा, साथ ही ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आएगी।
  • घर के सदस्यों में आपसी सौहार्द, समन्वय और प्रेम का संचार होता है।

कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं।

  • जो रोटी अंत में बनती है उस पर सरसों का तेल लगाकर वह रोटी किसी काले कुत्ते को देने की मान्यता है। (काला कुत्ता न दिखाई दे तो किसी और कुत्ते को भी रोटी दी जा सकती है।)
  • मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है।
  • कुत्ते को देखकर दुष्ट आत्माएं दूर भागने लगती हैं।
  • कुत्ते को रोटी खिलाने से शत्रुभय दूर होगा,

अंततः

  • गाय एवं कुत्ते को रोटी देने से नकारात्मक ऊर्जा घर से निकल जाती है।
  • घर को किसी भी कुदृष्टि से बचाया जा सकता है।
  • इस प्रकार से हम अपने समाज के पशुओ के लिए अल्प योगदान कर सकते है प्रत्येक घर से एक एक रोटी भी पर्याप्त होगी एक आरम्भ होगा इन पशुओ के लिए उदरपूर्ति का।

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