क्या रेलवे महज एक पैसेंजर के लिए पूरी ट्रेन चला सकता है?
हाँजी, अभी 2–3 अगस्त 2020 को ऐसा वाक्या हुआ। और ट्रेन भी कोई मामूली ट्रेन नहीं थी, नई दिल्ली से राँची जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस थी।
हुआ कुछ इस तरह कि इस राजधानी एक्सप्रेस को डाल्टनगंज रेलवे स्टेशन पर रोक देना पड़ा। इसकी वजह थी आगे सैक्शन में ‘टाना भगतों’ आंदोलन करने वालों ने रेलवे ट्रैक पर धरना दिया हुआ था। डाल्टनगंज से राँची 308 किलोमीटर की यात्रा रह गयी थी। ट्रेन में 930 यात्री सवार थे। रेलवे ने बसों का इंतजाम किया और 929 यात्रियों को बसों से राँची भिजवाया। लेकिन एक महिला यात्री अनन्या चौधरी ने बस से जाने से इंकार कर दिया। उसे बहुत मनाया गया और कार से भेजने का प्रस्ताव भी दिया गया, लेकिन वह राजी नहीं हुयी। उसने कहा कि उसे बस से जाना होता तो वह राजधानी एक्सप्रेस का टिकिट क्यों लेती?
आखिर रेलवे बोर्ड चेयरमैन से बात की गयी। उन्होंने कहा कि ठीक है ट्रेन को गया, गोमो, बोकारो होकर राँची पहुँचाओ और महिला RPF एस्कोर्ट भी महिला यात्री के साथ भेजो। तब शाम 4 बजे ट्रेन को वापिस ‘गया’ रेलवे स्टेशन पर लाया गया, वहाँ से गोमो, बोकारो होते हुए 535 किलोमीटर की यात्रा करते हुए राजधानी एक्सप्रेस रात 01.45 बजे केवल एक यात्री के साथ राँची पहुँची।
नोट :— इस तरह से ट्रेन को 227 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ी और रेलवे को 929 यात्रियों के लिए बस का खर्च भी वहन करना पड़ा (कम से कम 20–25 बसों का इंतजाम करना पड़ा होगा)। यदि यही निर्णय पहले ले लिया जाता तो रेलवे को इतना नुकसान नहीं होता। वह एक महिला यात्री भी बस से चली जाती तब भी रेलवे को खाली राजधानी के रैक को राँची तो भेजना ही पड़ता क्योंकि उसी रैक को राँची से नई दिल्ली वापिस भी जाना था।