क्या बॉलीवुड की तरह क्रिकेट में भी नेपोटाइज्म है? जानिए सच
नेपोटिज्म समाज का एक ऐसा कीड़ा जिसने समाज को पूरी तरह से खोखला कर दिया है | जिसने पता नहीं कितने ही प्रतिभावान व्यक्तियों का कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया चाहे वह किसी भी क्षेत्र से क्यों ना हो |
बात करते हैं बॉलीवुड में नेपोटिज्म की तो नेपोटिज्म के कारण बॉलीवुड में अनगिनत प्रतिभावान व्यक्तियों का कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया गया इसके पीछे कुछ विशेष व्यक्तियों का हाथ भी रहा है |अगर कोई पूछे कि विश्व में सर्वाधिक नेपोटिज्म कहां है तो सीधा सा जवाब होगा बॉलीवुड |
आज हर कोई स्टार अपने बेटे या बेटियों को लांच करना चाहता है भले उनमें प्रतिभा हो या ना हो | फिर यही स्टार किड अपने बाप के दम पर फिल्म पाने के बाद किसी ना किसी शो में बोलते हैं कि उन्होंने बहुत ज्यादा स्ट्रगल किया है ,अब मुझे समझ नहीं आता कि जिन के बचपन के दोस्त ही अंबानी के बेटे और बेटियां हो उन्होंने कौन सा संघर्ष किया होगा | खैर छोड़िए यह तो हो गई बॉलीवुड में नेपोटिज्म की बात ,अगर इस पर बहस शुरू की जाए तो बहुत ज्यादा लंबी हो सकती है लेकिन सवाल है कि क्या क्रिकेट में भी नेपोटिज्म होता है ?? तो मेरा इस पर सीधा सा जवाब है हां लेकिन आंशिक रूप से | मैं सबसे पहले शुरुआत करता हूं सुनील गावस्कर से ,आप सब सुनील गावस्कर को तो जानते हैं और कुछ सीनियर व्यक्तियों ने तो उनको खेलते हुए भी देखा होगा लेकिन क्या आपमें से कोई रोहन गावस्कर को जानता है ,जी हां रोहन गावस्कर सुनील गावस्कर का बेटा |
एक ऐसा खिलाड़ी जो सिर्फ और सिर्फ अपने पिता के नाम पर भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने में सफल हुआ लेकिन वह कहते हैं ना भाग्य कब तक साथ दे तो उसी वजह से यह ज्यादा मैच भी नहीं खेल पाए और जल्दी ही टीम से बाहर हो गए लेकिन कहीं ना कहीं अगर टीम में उन्होंने जगह बनाई है तो वह सिर्फ और सिर्फ सुनील गावस्कर के नाम पर है वरना जगह बनाने के नाम पर उनके लाले पड़ जाते |फिर मैं बात करूं रोजर बिन्नी की ,शायद यह सब के लिए एक जाना पहचाना ही नाम होगा, यह वह खिलाड़ी है जिन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लिए थे और कुछ सीनियर व्यक्तियों ने तो इन्हें खेलते हुए भी देखा होगा और आप में से बहुत बहुत सारे लोग स्टुअर्ट बिन्नी को भी जानते होंगे |
वह भी सिर्फ एक मैच के कारण (2014 में बांग्लादेश के विरूद्ध 6 विकेट 4 रन देकर), क्या आपको पता है स्टुअर्ट बिन्नी जो अब एक गुमनाम सा नाम बन चुका है वह खिलाड़ी 2015 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का हिस्सा था , अगर स्टुअर्ट बिन्नी के एक मैच को भूल जाए तो बिन्नी ने अपने कैरियर में कुछ भी खास नहीं किया है |आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि जब 2015 के वर्ल्ड कप की क्रिकेट टीम चुनी गई थी तब भारतीय क्रिकेट टीम के सिलेक्शन समिति में स्टुअर्ट बिन्नी के पिता रोजर बिन्नी भी शामिल थे और यही वजह रही होगी कि बिन्नी 2015 की भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुने गए थे वरना उस समय बिन्नी के टक्कर में भी तीन-चार ऑलराउंडर और भी थे |
अब एक उदाहरण आपको वह देता हूं जिसमें नेपोटिज्म के कारण भारतीय क्रिकेट टीम का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान हुआ हो | क्या आपने प्रणव धनावडे का नाम सुना है जी हां वही खिलाड़ी जिसने अंडर 16 के एक मैच में एक ही पारी में 1009 रन बना डाले थे |यह इतना ज्यादा प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी नेपोटिज्म की भेंट चढ़ गया | वेस्ट जोन के लिए अंडर 16 के सलेक्शन के समय सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर को प्रणव धनावडे के ऊपर सेलेक्ट किया गया |
और एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी का कैरियर महज 16 साल की उम्र में खत्म कर दिया गया और क्या आपको पता है प्रणव ने उस समय के बाद क्रिकेट खेलना ही छोड़ दिया था |आप सोच सकते हैं कि 1009 बोलने में भी कितना समय लगता है तो इतने रन बनाने में कितना समय लगा होगा |यह थे क्रिकेट में में कुछ नेपोटिज्म के उदाहरण |मेरे हिसाब से प्रणव धनावडे का नुकसान भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे बड़ा नुकसान है |