क्या नवरात्र में बिना कन्या पूजन के फल मिलता है?

जब ऋषि मुनि जंगल में रहते थे और आसपास को परिवार नहीं होता था तो कन्या पूजन भी नहीं होता था।

यह पारिवारिक लोगों के लिए है कि वह कन्याओं के महत्व को समझ कर समाज को सुरक्षित व सुखी रखने में सहायक हों।

वृक्ष पूजन।

कुआं बावड़ी पूजन

शिला पूजन

भूमि पूजन आदि महत्व दर्शाने हेतु पूजन के अंगोपांग में रखे हुए हैं।

हर व्यक्ति अपनी परिस्थिति के अनुसार ही पूजन करता है। देवी मां व्यक्ति की भावनाएं और उसका समर्पण देखती हैं।ऐसा नहीं है कि यदि कोई कन्या पूजन नहीं करेगा तो मां उसकी पूजा स्वीकार नहीं करेंगी। वह पूजन का फल अवश्य देंगी।

इस वर्ष तो कोरोना के कारण कोई भी कन्या पूजन नहीं कर पाएगा तो क्या सबकी पूजा व्यर्थ हो जाएगी? नहीं ऐसा नहीं होता है। मां सब देखती हैं। मां सबकी पूजा स्वीकार करेंगी।

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