क्या देसी गाय का दूध विदेशी गायों की तुलना में अधिक गुणकारी होता है? जानिए सच

वर्षों तक सोशल मीडिया पर एक ही चीज पढ़ते पढ़ते दिमाग यह सोचने लगा है कि ऐसा सच हो ही नहीं सकता। इसलिए यह बता देना आवश्यक है कि परसों 9 मार्च को लोक सभा में ऐसा बयान भारतीय जनता पार्टी के संजीव बलियान ने दिया। संजीव बलियान पशुपालन राज्य मंत्री भी हैं और पशुचिकित्सक भी। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित महाविद्यालय से उन्होंने डिग्री ली है। ऐसा बयान उन्होंने आईसीएमआर के शोध के आधार पर दिया जो कि भारत सरकार के अधीन है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग भी केंद्र के पशुपालन विभाग के अंतर्गत आता है।

आयोग ने गायों के प्रति जागरूकता के लिए इसी वर्ष पांच जनवरी को “कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा” राष्ट्रीय स्तर पर लेने वाला था। परीक्षा 24 फरवरी को होने वाली थी परंतु सिलेबस पर विवाद होने से स्थगित कर दी गई। आयोग ने परीक्षा का जो सिलेबस जारी किया था उसमें लिखा था कि भारतीय गायों के दूध का रंग पीला इसलिए होता है क्योंकि उसमें सोने के अंश पाए जाते हैं।

भारतीय गायों के दूध को विश्व में सर्वोत्तम दूध बताया गया था। सिलेबस में लिखा गया था कि वैज्ञानिक तौर पर यह सिद्ध हो चुका है कि भारतीय गायों का दूध रेडिएशन से बचाता है और बीमारी ठीक करने के कई गुण उसमें होते हैं। विदेशी गायों के दूध को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया था तथा इसे पीने के लिए मना किया गया था। और भी और भी ऐसे कई तथ्य थे जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

बस समझ लीजिए की डेयरी से संबंधित कोई वैज्ञानिक अगर यह सोचकर परीक्षा में बैठ जाते कि सिलेबस क्या देखना है मुझे तो सब पता ही है, तो फेल हो जाते।

देसी गायों और विदेशी गायों के दूध में अंतर अवश्य है जिसके बारे में फिर किसी उत्तर में लिखूंगा परंतु सरकार के ही किसी अंग द्वारा समाज में भ्रामक जानकारी फैलाना निंदनीय है।

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