क्या चेतक के अलावा भी महाराणा प्रताप का कोई स्वामिभक्त था? जानिए
सम्पूर्ण मेवाड़ प्रान्त पर अपना आधिपत्य जमाने और प्रताप को पकड़ने के उद्देश्य से अकबर ने अक्टूबर 1576 को पुन: मेवाड़ पर चढ़ाई कर दी, परन्तु वह प्रताप को पकड़ने में सफल नहीं हो सका।
अकबर ने 15 अक्टूबर 1577 को अपने शिपहसालार शाहबाज खां को कुम्भलमेर के गढ़ को फतेह करने के लिए भेजा। उसने जून 1578 में किला तो फतेह कर लिया, किन्तु वह भी महाराणा प्रताप को नहीं पकड़ सका।
इस संकट के समय में महाराणा प्रताप के मंत्री भामाशाह और उनके भाई ताराचंद ने मुल्क मालवे से दण्ड के 25 लाख रूपए तथा 20 हजार स्वर्ण मुद्राएं उनको भेंट कर अपनी स्वामी भक्ति का परिचय दिया।
इस धन से उन्होंने पुन: सेना जुटाकर ‘‘दिवेर” को जीत लिया और ‘‘चांवड‘‘ पंहुचकर अपना सुरिक्षत मुकाम बनाया। मेवाड़ के बचे भाग पर फिर से महाराणा का ध्वज लहराने लगा।