क्या आप शनिदेव और राजा विक्रमादित्य के साढ़े साती के बारे में जानते हैं ?
राजा विक्रमादित्य जो चक्रवती राजा थे जिसे शनि देव ने एक एक दाने के लिए महोतज कर दिया था।
बात ऐसी हैं एक दिन सभी देवता राजा विक्रमादित्य के पास आये क्योंकि राजा विक्रमादित्य ने 32 योगिनी के साथ साथ 9 ग्रहो को भी सिद्ध किया हुआ था। और कहा हे राजन सिर्फ आप ही हमारी समस्या को दूर कर सकते हो (क्योंकि राजा विक्रमादित्य पूरे धरती के चक्रवती सम्राट थे।)हम सबको अपने अपने ग्रहो से एक एक धातु धरती पर देना है आप बताये की कौनसा धातु कौन देगा तो राजा विक्रमादित्य ने कहा ठीक है
आप कल आये फिर मैं आप को बता दूंगा तो उन्होंने ने 9 अलग अलग धातु की कुर्सियां बनवाया और उस पर रेशम का कपड़ा रख दिया और जब 9 ग्रह आये तो कहा कि आइये आप मे से जो भी जो धातु पर बैठे जायेगा वह उनका होगा फिर सूर्य देवता सोने कि कुर्सी पर बैठे तो वह उनका हो गया ऐसा करते करते लोहे की कुर्सी शनि देव का हुआ तो वह कहने लगे कि तुमने मेरा अपमान किया हैं। मैं इसका बदला तुम से जरूर लूंगा
जब तुम्हारा साढ़े साती आएगा तो उन्होंने कहा देखें इसमे मेरी कोई गलती नहीं हैं आप लोगो ने मुझसे जो काम करने को कहा वह मैंने किया जिसमें किसी को कास भी मिला है लेकिन शनि देव तो गुस्से वाले है उन्होंने कहा मैं इसका बदला ज़रूर लूंगा उन्होंने ने उनका परीक्षा लेना सुरु कर दिया तो उन्होंने उनका फायदा उठाया क्योंकि वह जानवरो व पंछी से बात कर सकते थे।
तो वह काला घोड़ा बनकर उनके पास गए और कहा आप मेरी सवारी करें तो वह बैठ गए फिर वह उन्हें जली कटी झाड़ी में काटो में ले गए जिससे उनका सारा शरीर छिल व कट गया वह बहुत जख्मी हुए उनके हाथ पैर कटे थे तो जब वह वापस आये तो उनके राज्य के लोगो ने कहा की ऐसा राजा हमे नहीं चाहिये और उन्हें भगा दिया।
उसके बाद यह राजा जिसके हाथ पैर कटे हुए थे वह दर दर के ठोकरे खाने लगे भूख प्यास में रहने लगे इनको खाना तक नसीब नहीं होता था। फिर एक दिन इनके पास एक तेली आया और कहा हे महराज क्या आप को काम चाहिये तो उन्होंने कहा हा मुझे चाहिए क्या काम है तो उसने बताया कि मेरा बैल मर गया है.
मेरा रैहठ चलाने के लिए बैल के ताकत वाला चाहिए तो उन्होंने ठीक हैं मुझे दिन के दो वक़्त की रोटी दोंगे तो मैं यह भी करूँगा तो वह बैल के साथ दिन भर वह रैहठ चलते जिससे बीज का तेल निकलता जिसे वह तेली बेचता और इन्हें 2 वक्त की रोटी देता ऐसा उन्होंने साढ़े सात साल किया फिर जब इनका समय साढ़े सात साल पूरा हुआ शनि देव आये और इनका हाथ पैर वापस कर दिए और इनका पौरुष बल भी दिया और खुश होकर कहा कि तुम्हे क्या चाहिए मैं तुम्हें सब दे सकता हूँ तो उन्होंने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए आप मुझे वरदान दीजिये की आप जितना दुःख मझे दिया हैं।