क्या आप गुपकर गैंग के बारे में बता सकते हैं? जानिए
इस समय गुपकार काफी चर्चा में है. हर तरह इसके बारे में ही बातें हो रही हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसपर टिप्पणी कर सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है. सबसे पहले तो हम ये जानते हैं कि आखिर गुपकार क्या है और इसका एजेंडा क्या है?
क्या है गुपकार
दरअसल केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराने के मकसद से जो बहुदलीय समूह का निर्माण किया गया है उसे ही ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन’ (पीएजीडी) या गुपकार कहा जाता है. श्रीनगर में एक गुपकार रोड भी है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का यहीं पर आवास है. पीएजीडी नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सहित जम्मू-कश्मीर में मुख्य धारा की सात राजनीतिक दलों का गठबंधन है जो जम्मू-कश्मीर को पहले की भांति विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.
गुपकार में कौन-कौन पार्टी हैं शामिल
गुपकार में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, सीपीआई (एम) पीपल्स यूनाइटेड फ्रंट, पैंथर्स पार्टी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हिस्सा लिया था. हालांकि कांग्रेस इसका अभी तक हिस्सा नहीं है, क्योंकि पार्टी ने 14 नवंबर को जारी अपने बयान में कहा था कि गुपकार का हिस्सा बनने के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं किया है.
गुपकार बैठक की अध्यक्षता फारूक अब्दुल्ला ने की थी जबकि महबूबा मुफ्ती, मजुफ्फर हुसैन बेग, अब्दुल रहमान वीरी, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी, अब्दुल गनी वकील, ताज मोहिउद्दीन, एमवाई तारिगामी, उमर अब्दुल्ला, जस्टिस हसनैन मसूदी, मुहम्मद अकबर लोन, नारिस सुगामी, शाह फैसल, अली मोहम्मद सागर, मुजफ्फर शाह , उजैर रोंगा और सुहैल बुखारी ने हिस्सा लिया था.
क्या है गुपकार घोषणा ?
4 अगस्त, 2019 को भाजपा को छोड़कर कश्मीर के सभी बड़े राजनीतिक दलों की बैठक फारूक अब्दुल्ला के आवास पर हुई थी. यह बैठक पूर्ववर्ती राज्य में अनिश्चितता और तनाव के बीच हुई थी, क्योंकि केंद्र ने अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों को वहां तैनात किया था और अमरनाथ के श्रद्धालुओं सहित सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने के लिए कहा गया था. स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान जारी किया था जिसे ‘गुपकार घोषणा’ के नाम से जाना जाता है. केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को मिले विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
क्या है गुपकार का एजेंडा ?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन’ की गठन के बाद कहा था कि गठबंधन जम्मू-कश्मीर के संबंध में संवैधानिक स्थिति बहाल करने के लिए प्रयास करेगा, जैसा पिछले वर्ष पांच अगस्त से पहले था. उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जो छीन लिया गया, उसकी बहाली के लिए हम संघर्ष करेंगे। हमारी संवैधानिक लड़ाई है… हम (जम्मू-कश्मीर के संबंध में) संविधान की बहाली के लिए प्रयास करेंगे, जैसा कि पांच अगस्त 2019 से पहले था.
गुपकार घोषणा के उद्देश्य
इसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर विधानसभा का चुनाव बहिष्कार करना और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देना है. पीपुल्स अलायंस का उद्देश्य सभी हितधारकों के साथ, विशेष रूप से अलगाववादी नेताओं के साथ राजनीतिक रूप से वार्ता करना है. प्रस्ताव में पार्टियों ने सर्वसम्मति से जम्मू और कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष स्थिति की रक्षा और बचाव के अपने प्रयासों में एकजुट होने पर सहमति व्यक्त की थी.