क्या अंत समय में सचमुच यमदूत लेने आते हैं या केवल मानवीय भ्रांतियां हैं?

हमें सनातन धर्म में हमेशा यह बात बताई जाती है कि अंत समय में यमदूत लेने आते हैं इसलिए इस बात पर पूरा विश्वास है। कुछ लोग होते हैं जो इन बातों पर विश्वास नहीं करते लेकिन मेरा विश्वास है।

आपको दो घटनाएं बताती हूं जिसको पढ़कर या सुनकर कोई भी जो इस बात को नहीं मानते, इस बारे में सोचेंगे अवश्य —

१, मेरे पति के काकाजी के मृत्यु के समय की है । उनको रक्तचाप की बीमारी थी।

उनके पैर में गेंग्रिन का ऑपरेशन हुआ था । ऑपरेशन ठीक हुआ था अच्छे से बातचीत कर रहे थे, हम मिलने भी गए थे उनसे। कुछ दिनों बाद अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और मृत्यु हो गई। उस समय हम तो उनके पास नहीं थे लेकिन जो लोग भी उनके आसपास उपस्थित थे उन्होंने बताया था कि आखिरी समय के पहले काकाजी अचानक चिल्लाने लगे–

” देखो सामने कितने बड़े बड़े काले चार लोग खड़े हैं, कौन है ये लोग?? उन्हें मेरे सामने से हटाओ, मुझे डर लग रहा है “

बस इतना बोलने के कुछ समय बाद ही काकाजी की मृत्यु हो गई थी।

२. मेरी भाभी के मौसाजी बड़े पूजा पाठी थे। सात साल पहले वो और मौसी उज्जैन दर्शन करने गए हुए थे। उज्जैन में क्षिप्रा तट पर रामघाट है, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं, वहां स्नान करने के बाद मौसी मौसाजी दोनों लौट रहे थे कि अचानक तीन चार पुरुष आए, सफेद कपड़ों में। मौसी को लगाकर शायद उनके पति के ऑफिस के लोग हैं इसलिए वह थोड़ा पीछे हो गई।

उन लोगों ने मौसाजी से कहा — शर्माजी कब आएं हम लोग ?

इसपर मौसाजी ने कहा – आप गुरुवार ( तीन दिन बाद) को 11 बजे आ जाइए।

उसके बाद मौसाजी ने मौसी के पूछने पर बस इतना बताया –हां पहचान के लोग हैं गुरुवार को सुबह ग्यारह बजे घर आएंगे।

वह लोग अपने घर लौट आए। उन्होंने अपने थोड़े जरूरी काम निपटाए। वो बिलकुल स्वस्थ थे लेकिन अचानक गुरुवार को उनको हार्ट अटैक आया और ग्यारह बजे उनकी मृत्यु हो गई।

उनकी मृत्यु के बाद अचानक जब उनकी पत्नि को यह बात याद आई तो उन्होंने घर वालों को बताई थी।

यह दोनों घटनाएं मात्र संयोग है या कुछ और यह तो पता नहीं क्योंकि आजकल लोग विज्ञान की बातों पर या सत्यता की जांच और परिणाम पर विश्वास करते हैं, लेकिन इस बात की सत्यता की जांच कोई व्यक्ति नहीं कर सकता।

शायद बहुत लोगों को या सभी को अपनी मृत्यु का अनुमान पहले हो जाता है लेकिन वो उस बात को स्पष्ट नहीं बता पाता या खुद समझ नहीं पाता। शायद कुछ ऐसा होता होगा कि मृत्यु के निकट वाले व्यक्ति को कुछ शक्ति ऐसा करने से रोकती होगी।

लेकिन फिर भी विज्ञान से परे कुछ ऐसे सच हैं जहां विज्ञान की पहुंच नहीं है, केवल ईश्वरीय शक्ति है। इन बातों को ना मानने वाले उसको अंधविश्वास या ढकोसले का नाम दे सकते हैं। कुछ इसको मानवीय भ्रांति कह सकते हैं लेकिन जहां खुद मानव का जोर नहीं चल सकता वहां शास्त्रों की बात मान लेनी चाहिए।

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