कैसे इतिहास का केवल एक गलत मोड़, प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना,जानिए आप भी

प्रथम विश्वयुद्ध जुलाई 1914 से 11 November 1918 तक चला इसमें कुल 1 करोड़ 70 लाख लोगों की मौत हुई थी प्रथम विश्वयुद्ध के कई कारण थे जैसे विभिन्न देशों के बीच हुई रक्षा संधियाँ, साम्राज्यवाद, विस्तार वाद, सैनिक शासन, देश भक्ति और Archduke Franz Ferdinand की हत्या आदि इनमें से जो तुरंत प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना वो Archduke Franz Ferdinand की हत्या था

Archduke Franz Ferdinand कौन था
Archduke Franz Ferdinand Austro-hungarian तख्त का होने वाला उत्तराधिकारी था Austria Hungary पर उस वक्त दोहरी राजेशाही हुआ करती थी अर्थात् इन दोनों रियासतों का एक ही राजा होता था तथा बाकी सारे आंतरिक निर्णय लेने में ये रियासतें स्वतंत्र थी और उस समय रियासतों का सम्राट Franz Joseph प्रथम था और Archduke Franz Ferdinand, सम्राट के छोटे भाई Archduke Karl Ludwig का सबसे बड़ा बेटा था और ऑस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य का होने वाला उत्तराधिकारी भी. Archduke Franz Ferdinand को 1913 में ऑस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य की सेना का सेनापति नियुक्त किया हुआ था.

Archduke Franz Ferdinand
Archduke Franz Ferdinand का Sarajevo का दौरा
जैसा कि ज्ञात है Archduke Franz Ferdinand ऑस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य का बनने वाला उत्तराधिकारी था तथा सेना का सेनापति भी. उसने बोस्निया की राजधानी Sarajevo में सैनिक प्रशिक्षण रखा तथा सैनिकों का हौसला अफजाई करने के लिए वहां पर उन्हें भाषण देने आया हुआ था.

1908 में ऑस्ट्रिया हंगरी रियासत ने Bosnia और Herzegovina की रियासत पर कब्जा कर लिया था जो कि पहले Ottoman साम्राज्य के अंतर्गत आते थे इन दोनों रियासतों की अधिकतर जनसंख्या स्लाव जाति की थी तथा ये दोनों रियासतें स्वतंत्र होना चाहती थी और सरबिया इन दोनों रियासतों को स्वतंत्र स्लाविक साम्राज्य के रूप में खड़ा होने के लिए मदद कर रहा था

Franz Ferdinand posing in front of a killed elephant, 1893
सरबिया की इसी विस्तार वादी सोच से सावधान होकर ऑस्ट्रिया हंगरी ने जर्मनी के साथ रक्षा समझौता किया जिसके अंतर्गत अगर ऑस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य का सरबिया के साथ युद्ध होता है तो जर्मनी ऑस्ट्रिया हंगरी की तरफ से सरबिया तथा उसके सहायक रुस के साथ युद्ध में उसकी सहायता करेगा. इसी कड़ी में ऑस्ट्रिया हंगरी ने सरबिया को अपनी सैन्य ताकत तथा उसकी विस्तार वादी सोच से उसे सावधान करने के लिए बोस्निया की राजधानी Sarajevo में सैनिक अभ्यास किया.

28 जून सर्बिया के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि इसी दिन कोसोवो में Ottoman की सेना के हाथों सरबिया की हार हुई थी और 1913 में दूसरे Balkan War में सर्बिया ने kosovo पर वापस कब्जा कर लिया था इस तारीख को सरबिया के लोग 1389 में Ottoman सेना से हार के बाद मृत्यु को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में इस दिन को मनाते हैं

लेकिन इसी तारीख को ऑस्ट्रिया हंगरी के उत्तराधिकारी का बोस्निया की राजधानी में आना सर्बिया के राष्ट्र भक्तों को नागवार गुजरा. उन्हें यह सरासर अपना अपमान लगा और उन्होंने इसका बदला लेने की सोची.

Archduke Franz Ferdinand पर पहला निष्फल हमला
हालांकि Archduke Franz Ferdinand को अपने गुप्त चरों के द्वारा यह सूचना पहले ही मिल गई थी कि बोस्निया में उन पर जानलेवा हमला हो सकता है लेकिन सुरक्षा के इंतजामात के बाद उन्होंने और उनकी पत्नी ने एक खुली कार में अपने काफिले के साथ यात्रा की. 28 जून की सुबह को जब उनका काफिला Apple Quay के मार्ग से होकर निकला तो वहां पर घात लगाकर बैठे हुए Serb जाति के 7 लोग उन पर हमला करने की फिराक मे थे सभी के पास हथियार, बम और सायनाइड के कैप्सूल थे ताकि अगर वह पकड़े भी जाएं तो इन कैप्सूल्स को खाकर जान दे दे ताकि दुश्मन के हाथ ना लग सकें.

जैसे ही Archduke Franz Ferdinand का काफिला apple quay मार्ग से होकर निकला तो इनमें से एक हमलावर ने उनकी कार पर बम फेंका. हालांकि ड्राइवर की सूझ बूझ की वजह से यह बम उनकी कार के पीछे की तरफ फटा और वहां पर उपस्थित लोग घायल हो गए. इसके तुरंत बाद ही हमलावर ने सायनाइड capsule खा लिया और नदी में कूद गया हालांकि साइनाइड कैप्सूल से वह बच गया और जिस नदी में वह कुदा था वह भी इतनी गहरी नहीं थी कि वह डूब सकें. इस कारण उसे जल्द ही जीवित पकड़ लिया गया

इस हमले के बाद अगर Archduke Franz Ferdinand चाहते तो वे अपने आगे के कार्यक्रम को स्थगित करके वहीं से वापस ऑस्ट्रिया हंगरी लौट सकते थे लेकिन वे आसानी से डरने वालों में से नहीं थे हालांकि उनके कुछ सेनाध्यक्षों ने भी उन्हें वापस लौटने की सलाह दी लेकिन Archduke Franz Ferdinand को यह कतई पसंद नहीं था की कोई उनको बताएं कि उन्हें क्या करना चाहिए. इस कारण खुद पर हुए इस हमले के बाद भी वे कार्यक्रम में पहुंचे और वहां पर उन्होंने अपना भाषण दिया तथा वापस रवाना हो गए

Archduke Franz Ferdinand की कार
एक गलत मोड़ जो Archduke Franz Ferdinand की मौत का कारण बना और प्रथम विश्वयुद्ध का भी
कार्यक्रम में अपना भाषण देने तथा वहां पर अपने काम निपटाने के बाद Archduke Franz Ferdinand ने वापस लौटते समय अपने ऊपर हमले में हुए घायल लोगों से मिलने की इच्छा जताई और सुरक्षा कारणों की वजह से उनका जो पहले से तय रूट था वहां से ना जाकर एक अलग रूट से उन्हें ले जाना था उनके काफिले की पहली गाड़ी सुरक्षा अधिकारियों की थी तथा उनके पीछे चल रही दूसरी खुली गाड़ी में Archduke Franz Ferdinand और उनकी पत्नी Sophie बैठे हुए थे इन दोनों गाड़ियों के ड्राइवर चेकोस्लोवाकिया के रहवासी थे उन्हें जर्मन भाषा नहीं आती थी, यही वजह थी कि उन्हें नए रूट के बारे में कुछ पता नहीं था.

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