कुंभ मेले का पौराणिक इतिहास क्या है, इसका आयोजन किस किस जगह होता है? जानिए

कुंभ मेले का इतिहास कम से कम 850 साल पुराना है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी।

मंथन में निकले अमृत का कलश हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था, इसीलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद लगता आया है। 12 साल बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंचता है। जबकि कुछ दस्तावेज बताते हैं कि कुंभ मेला 525 बीसी में शुरू हुआ था।

कुंभ मेले के आयोजन का प्रावधान कब से है इस बारे में विद्वानों में अनेक भ्रांतियाँ हैं। वैदिक और पौराणिक काल में कुंभ तथा अर्धकुंभ स्नान में आज जैसी प्रशासनिक व्यवस्था का स्वरूप नहीं था। कुछ विद्वान गुप्त काल में कुंभ के सुव्यवस्थित होने की बात करते हैं।

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