किस गाने के बाद रफी और मुकेश की जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई थी? जानिए
रफी साहब और मुकेश जी की दोस्ती की जब भी बातें होती हैं एक गाना मन मस्तिष्क में अचानक से कौंध जाता है, यह वही गाना है जिसकी चर्चा होते ही मुकेश जी और रफी साहब की दोस्ती के किस्से बरबस जुबां पर आ जाते हैं- “सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी” ।
यहां बता देना जरूरी है कि इस गाने में कुछ लाइनों को लेकर काफी बवाल मचा था, 1977 में आई फिल्म धर्मवीर के गानों को फिल्म से पहले रिलीज किया गया, सारे गाने हिट रहे, पर इस एक गाने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया, खास तौर पर महिला संगठनों ने लड़की की तुलना घोड़ी से किए जाने को लेकर भारी विरोध किया, जाहिर सी बात है लड़की की तुलना एक घोड़ी से करना कहीं से भी उचित नहीं था और विवश होकर गाने की उस पंक्ति में फेरबदल करना पड़ा। पहले गाने को इस तरह रिकॉर्ड किया गया था-
यह लड़की है या रेशम की डोर है, कितना गुस्सा है,कितनी मुंहजोर है
ढीला छोड़ ना देना हंस के रखना दोस्त लगाम कस के
अरे मुश्किल से काबू में आये लड़की हो या घोड़ी…..
बाद में- अरे मुश्किल से काबू मे आये थोड़ी ढील जो छोड़ी.. किया गया था.
दुर्भाग्यवश, दोस्ती की बखान करने वाले इस गाने के रिकॉर्डिंग के कुछ ही दिन बाद मुकेश जी का अमेरिका में निधन हो गया और इसके साथ ही रफी और मुकेश जी की जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई।