किडनी को कब चाहिए कितना पानी, ऐसे समझे

जरूरत से ज्यादा पानी पीना भी किडनी पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। सामान्यता लोगों में यह धारणा है कि वो जितना ज्यादा पानी पीएंगे तो उनकी किडनी अच्छी रहेगी, जबकि ऐसा नहीं है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति को 24 घंटे में इतना पानी पीना चाहिए कि उसे इन घंटों में दो से ढाई लीटर यूरिनल हो। इसके लिए लगभग तीन लीटर पानी काफी होता है। इसके अतिरिक्त यूरिनल अगर पारदर्शी हो तो इसका मतलब है कि सब ठीक है, लेकिन अगर इसमें पीलापन हो तो उसे और पानी पीना चाहिए। आइए जानते है क‍ि स्‍वस्‍थ क‍िडनी के ल‍िए क‍ितने पानी पीने की आवश्‍यकता होती है।

एक द‍िन में 8 गिलास पानी पीना चाह‍िए

एक दिन में 8 गिलास पानी पीना चाहिए लेकिन किडनी में स्टोन होने पर यह मानक नहीं है। 8 गिलास पानी का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि बॉडी को सामान्य काम करने और किन्ही खास मौकों पर ज्यादा मेहनत करने के लिए पानी का पर्याप्त स्तर बना रहे। किडनी फेल होने पर पानी मात्रा सीमित करने की जरूरत होती है अगर फ्लूइड ओवरलोड का मामला बन रहा हो तो। यह बात हेल्थ एक्सपर्ट ही तय कर सकते हैं। उनकी सलाह से ही इस मामले में काम करना सही रहेगा।

हाइपोनेट्रेमिया

कुछ मामलों में अत्यधिक पानी हाइपोनेट्रेमिया नामक स्थिति पैदा करता है- जिसमें खून में सोडियम की मात्रा घुल जाती है जिससे व्यक्ति कमजोरी और थकावट महसूस करता है।

मूत्र के रंग से पहचानें बीमारी

हर दिन 1.5 लीटर मूत्र बनना जरूरी होता है। मूत्र के रंग से काफी कुछ पता चल सकता है। डिहाइड्रेशन, पीलिया के मामले में पेशाब का रंग गहरा पीला होगा। बॉडी अगर ठीक ढंग से काम कर रही है तो पेशाब का रंग हल्का पीला या रंगहीन होगा। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से अधिक पेशाब बनती है जिससे संक्रमण करने वाले बैक्टेरिया को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा पर्याप्त पानी पीने से किडनी स्टोन से भी बचा जा सकता है।

पेशाब पर रखें नजर

वास्तव में कितना पानी पीना चाहिए, ये एक्टिविटी लेवल, क्लाइमेट आदि कारकों पर निर्भर करता है। खैर, अगर आपको ये जानना है कि आपके लिए कितना पानी पर्याप्त है, तो आपको पेशाब के आने पर नज़र रखनी चाहिए। यानि गौर करें कि आपको कितना पेशाब आता है। अगर आपको कम पेशाब आता है, तो इसका मतलब है कि आपको अधिक पानी पीने की ज़रूरत है। हालांकि लगातार पेशाब आना भी अच्छी बात नहीं है। ये मधुमेह या प्रोस्टेट समस्याओं जैसी कुछ अंतर्निहित बीमारी का संकेत हो सकता है।

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