काला पानी की सजा क्या है तथा यह कब शुरू की गई थी? जानिए

काला पानी की सजा यानि { सेल्यूलर जेल } कालापानी की सजा बहुत खतरनाक सजा थी यह जेल अंडमान निकोबार की राजदशानी पोर्ट ब्लेयर मे बना था यहाँ चारों तरफ पानी से घिरा हुआ था ताकि कोई भी कैदी यहाँ से भाग कर नहीं जा सके । यहां मूल रूप से भारत की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को सजा देकर भेजा जाता था। बेड़ियों में जकड़कर रखा जाता था।

चारों ओर समुद्र का पानी होने की वजह से कोई भी कैदी यहां से भागने में कामयाब नहीं हो पाता था। यह पूरा क्षेत्र बंगाल की खा़ड़ी के तहत आता था। यहां कैदियों को सामान्य जनों से दूर रखने का प्रावधान था और कड़ी यातनाएं दी जाती थीं।

माना जाता था कि जो भी जाएगा यहां से वापस नहीं आ पाएगा, लिहाजा इसे कालापानी की सजा कहते थे अंग्रेजों को 1857 की क्रांति के बाद कालापानी जेल बनाने का विचार आया ।

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वह स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों को ऐसी जगह भेजना चाहते थे, जहां उनको घोर यातनाएं दी जा सकें और वह वहां से चाहने के बावजूद भाग न सकें। कालापानी जेल बनाने के पीछे अंग्रेजों की यही मनसा थी की स्वतंत्रता सेनानियों के मनोबल को तोड़ सकें

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