कालभैरव कौन था? इसका जन्म कब और कैसे हुआ?
क्या आपको पता है कालभैरव का जन्म शिवजी से ही हुआ था। आइये हम आपको इसकी कथा सुनाते है।
ब्रह्माजी के अपशब्द कहे जाने पर शिवजी को क्रोध आ गया और इसी क्रोध से कालभैरव का जन्म हुआ। शिवजी के इस रूप को देख सभी देवी-देवता घबरा गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्माजी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया तब ही से ब्रह्मा पंचमुख से चतुर्मुख हो गए। ब्रह्माजी के सर को काटने के कारण भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया।
शास्त्रों में कालभैरव को शक्तिशाली रुद्र बताया गया है। शिवपुराण के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव प्रकट हुए थे। मान्यता है कि कालभैरव का व्रत रखने से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही उपरी बाधा, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र का भय नहीं रहता है।
शास्त्रों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, बिष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था। इस विवाद को सुलझाने के लिए ब्रह्मा, बिष्णु एवं सभी देवी-देवता और ऋषि मुनि भगवान शिव के पास आते हैं। भगवान शिव ने सभी देवी-देवता और ऋषि मुनियों ने से पूछा कि आप ही बताइए सबसे श्रेष्ठ कौन हैं। सभी देवताओं और ऋषि मुनियों ने विचार विमर्श कर इस बात को खोजा कि भगवान शिव ही श्रेष्ठ है। भगवान बिष्णु ने यह बात स्वीकार कर ली और लेकिन ब्रह्माजी को अच्छा नहीं लगा।
उन्होंने भगवान शिव को अपशब्द कह दिए।ब्रह्माजी के अपशब्द कहे जाने पर शिवजी को क्रोध आ गया और इसी क्रोध से कालभैरव का जन्म हुआ। शिवजी के इस रूप को देख सभी देवी-देवता घबरा गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्माजी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया तब ही से ब्रह्मा पंचमुख से चतुर्मुख हो गए। ब्रह्माजी के सर को काटने के कारण भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया। ब्रह्मा जी ने भैरव बाबा से माफी मांगी।