कार की विंडशील्ड तिरछी क्यों होती है, जबकि बस में सीधी होती है? जानिए

केवल कार ही नहीं , ट्रक इत्यादि भी, जिनके इंजन बाहर होते हैं, उनकी विंड शील्ड तिरछी होती है

इसका कारण है कि , जहाँ इंजन खत्म होता है, वहाँ से ड्राइवर सीट के बीच कुछ दूरी शेष रह जाती है , जिसमें तिरछा शीशा (विंडशील्ड) ही फिट हो पायेगा ।

कार में भी जहाँ इंजन अंदर रहता है , वहाँ शीशा (विंडशील्ड) लगभग सीधा होता है।

हकीकत में सीधा दिखनेवाला शीशा भी थोड़ा तिरछा होता है। इससे धूल और पानी की बूंदें इकट्ठा होने में सहूलियत होती है।

कम रफ्तार यथा 100 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार तक तो यह कारण है जो पूर्ण रूपेण यांत्रिक कारणों से निर्धारित होता है। लेकिन ऊंची रफ्तार ( 100 किलोमीटर/घंटा से ऊपर) पर हवा की बहाव गतिकी (एयरोडायनामिक्स) के कारण न केवल आगे का शीशा (विंड शील्ड ) बल्कि बोनट को भी तिरछा रखना होता है। और तो और कार के पीछे का शीशा भी तिरछा रखना होता है।

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एक नज़र कार पर हवा की बहाव और दबाव/बल पर

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हवा के बहाव से कार पर दो तरह के (ऊर्ध्वाधर /वर्टिकल) फ़ोर्स पैदा हो सकते हैं।

एक जो ऊपर उठाएं – उसे लिफ्ट कहते हैं

दूसरा जो नीचे दबा के रखे – जिसे डाउन फ़ोर्स कहते हैं ।

इसी डाउन फ़ोर्स से स्पीड में भी कार को स्थायित्व (स्टेबिलिटी ) मिलता है।

वरना सबसे अच्छा तो सीधे शीशे से दिखाई पड़ता है , उसे जान बूझकर टेढ़ा करने की जरूरत क्या है ?

विंड शील्ड , बोनट और पिछले विंड स्क्रीन को उपयुक्त कोण पर रखकर कार की स्थायित्व (स्टेबिलिटी) बढ़ाने के साथ साथ हवा के प्रतिरोध (जिसे ड्रैग कहते हैं) को भी कम किया जा सकता है, जिससे कार की माइलेज बढ़ जाती है।

विभिन्न अध्ययनों में यह पाया कि , हवा के प्रतिरोध (जिसे ड्रैग कहते हैं) को कम करने हेतु इन कोणों के सामान्य मान निम्नवत होते हैं।

अगले विंड शील्ड का कोण 60°
बोनट का कोण 15°
पिछले विंड स्क्रीन का कोण 30°

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