करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे क्या कहानी है? जानिए
इतिहास में कभी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं हैं, उनके उपलक्ष्य में ही आज त्यौहार मनाये जाते हैं। हम क्रिसमस मनाते हैं क्योंकि उस दिन कुछ महत्वपूर्ण बात हुयी थी। लोग ईद मनाते हैं क्योंकि भूतकाल में उसी दिन कुछ अच्छा हुआ था। इस प्रकार हम उत्सव मनाते हैं।
हर त्योहार के पीछे कोई कहानी है या फिर उसका कोई ज्योतिषी महत्व है। जैसे करवा चौथ पूर्णिमा का चौथा दिन होता है जिसमें महिलाएं पूरा दिन अपने पति के कल्याण के लिए व्रत करतीं हैं और फिर उसके बाद उत्सव मनातीं हैं व अच्छा भोजन करतीं हैं। यह प्रथा है और इसके पीछे कुछ कहानियां हैं।
करवा चौथ व्रत कथा |
करवा चौथ की भी एक कहानी है। एक बार एक राजा था जिसका नाम था सत्यवान और उसकी पत्नी थी सावित्री। राजा ने युद्ध में सब कुछ खो दिया और अपने प्राण भी गँवा दिए। जब मृत्यु उसे लेने आयी, तब उसकी पत्नी ने प्रार्थना करी और उसका संकल्प इतना शक्तिशाली था कि उसने अपने पति को पुनर्जीवित कर दिया। जो आत्मा शरीर छोड़कर चली गयी थी, वह वापस शरीर में आ गयी। तो इसी को करवा चौथ कहते हैं। ऐसी ही और बहुत सी प्राचीन कथाएँ हैं। उसने कहा कि आज सूर्य उदय नहीं होगा और वास्तव में सूर्य बहुत दिनों तक उगा ही नहीं। इसी तरह की कुछ कहानियाँ हैं। करवा चौथ ऐसा ही त्यौहार है।
उत्सव मनाईये ! अब उत्सव मनाने का कोई भी बहाना हो! उपवास करिए और फिर अच्छा भोजन करके उत्सव मनाईये। यही तो जीवन है!
जब आप व्रत रखते हैं, तब आपका पूरा शरीर शुद्ध हो जाता है। जब शरीर में से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं, तब मन तीक्ष्ण होता है। ऐसी अवस्था में आप जो भी इच्छा करते हैं या जिस भी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, वह पूरा होता है। यह श्रद्धा है, नियम भी है और इसका वैज्ञानिक आधार भी है। लेकिन व्रत के साथ-साथ आपको मन की संकल्प शक्ति को भी बढ़ाना होगा। करवा चौथ के पूरे दिन, आपके मन में बस एक ही इच्छा रहती है कि आपके पति या पत्नी का कल्याण हो। पुराने दिनों में, लोग केवल इसी एक इच्छा के साथ व्रत करते थे। ये और कुछ नहीं केवल हमारे मन की शक्ति है। लेकिन यदि आपका मन कहीं और है और आप केवल भोजन नहीं कर रहे हैं, तब उसका उतना फायदा नहीं होगा। हाँ, शरीर को आराम ज़रूर मिल जाएगा। हमारा लीवर 24×7 काम करता है। व्रत करने से उसे थोड़ा आराम तो मिल ही जाता है