कपिल सिब्बल ओर गुलाम नबी आजाद का भगवा पगड़ी पहनना किस बात की ओर इशारा कर रहा है? जानिए

ये दोनों ही कांग्रेस के बड़े और कद्दावर नेता हैं. दोनों का अपना-अपना जनाधार और यथेष्ट लोकप्रियता है. दोनों ही कठिन समय में कांग्रेस को संकटों से बचा कर बाहर निकाल लाए हैं. एक तरह से कहें तो ये दोनों ही कट्टर कांग्रेसी हैं. मगर पिछले कुछ अरसे से कांग्रेस संगठन में इनकी उपेक्षा जारी है. जब से इन दोनों सहित २३ जाने-माने कांग्रेसियों ने सक्षम, सक्रिय, प्रभावशाली व नियमित अध्यक्ष का मुद्दा कार्यसमिति में उठाया तभी से ये लोग कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के निशाने पर है. पार्टी के प्रति इनकी निष्ठा पर सवाल उठाए गए.

पिछले दिनों गुलाम नबी आज़ाद के राज्यसभा से विदाई के अवसर पर आजाद साहब और मोदीजी के बीच जो केमिस्ट्री दिखी वह भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है. यूँ तो आजाद साहब या सिब्बल साहब की उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा असंदिग्ध थी तथा आज भी है. उन्होंने संसद के अंदर तथा संसद के बाहर सरकार में रहते हुए मंत्री के रूप में तथा विपक्ष में होने पर विपक्षी सांसद के तौर पर अपनी पार्टी का पक्ष पूरी मजबूती से रखा, साथ ही सरकार पर हमला करने में कोई संकोच नहीं किया.

मैं आज भी मानता हूँ कि ये दोनों आजीवन कांग्रेस के लिए ही निष्ठावान बने रहेंगे. मगर भगवा रंग से घृणा कांग्रेसियों का विशिष्ट गुण है, फिर भी उन लोगों का भगवा पगड़ी धारण करना अनायास नहीं है. मैं इस विषय में अभी कोई अनुमान लगा सकने में नाकाम हूँ, मगर मेरे मन में भी उसी संदेह का अंकुर उभर रहा है जो शायद आपके मन मे है. हमें wait & watch पर कायम रहना चाहिए. भगवान पर भरोसा है, भविष्य में जो भी होगा अच्छा ही होगा.

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