औषधीय पौधे ‘सदाबहार’ के क्या लाभ हैं?

सदाबहार के अलावा नयनतारा नाम से लोकप्रिय फूल न केवल सुंदर और आकर्षक होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। यह पौधा सिर्फ आपके गार्डन की शोभा ही नहीं बढ़ता बल्कि कई रोगों से छुटकारा भी दिलाता है। इसे कई देशों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है, जिसके गोल पत्ते अंडाकार, अत्यंत चमकदार व चिकने होते हैं। पांच पंखुडि़यों वाला यह पुष्प श्वेत, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों का होता है। अंग्रेजी में विंका के नाम से जाना जाने वाले सदाबहार फूल के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आज हम आपको इस पौधे से सही होने वाली बीमारियों के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं कौन सी बीमारियों को ठीक करता है ये पौधा।

सदाबहार की पत्तियों का रस दिमागी बीमारियों को ठीक करने में भी बहुत कारगर है। इसमें मौजूद पोषक तत्व अनिद्रा, अवसाद, पागलपन और एनजाइटी जैसी बीमारियों से बचाता है। यदि किसी व्यक्ति को नींद न आने व टेंशन से सिर भारी होने की शिकायत है तो इसके एक चम्मच रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से बीमारी ठीक हो जाएगी।

सदाबहार के घरेलू उपचार

बाल झड़ने या सफेद

बाल झड़ने या सफेद होने जैसी परेशानी से लगभग सभी लोग परेशान हैं। इसलिए सदाबहार फूल कूट कर बालों में लगा लेने से बाल झड़ने जैसी परेशानी भी दूर हो जाती है।

जहरीले कीड़े या साँप बिछु के काटने पर

जहरीले कीड़े या साँप बिछु के काटने पर सदाबहार फूल लगा देने से काफी आराम मिलता है और जहर का असर गायब हो जाता है।

फोड़े-फुंसी

त्वचा पर घाव या फोड़े-फुंसी हो जाने पर आदिवासी इसकी पत्तियों का रस दूध में मिला कर लगाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा करने से घाव पक जाता है और जल्द ही मवाद बाहर निकल आता है।

सदाबहार ( सदाफूली ) की तीन चार कोमल पत्तियाँ चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है। आधे कप गरम पानी में सदाबहार ( सदाफूली ) के तीन ताज़े गुलाबी फूल 05 मिनिट तक भिगोकर रखें। उसके बाद फूल निकाल दें और यह पानी सुबह ख़ाली पेट पियें। यह प्रयोग 08 से 10 दिन तक करें। अपनी शुगर की जाँच कराएँ यदि कम आती है तो एक सप्ताह बाद यह प्रयोग पुनः दोहराएँ।

खाज-खुजली

पत्तियों को तोड़ने पर निकलने वाले दूध को खाज-खुजली में लगाने पर जल्द आराम मिलने लगता है। दूध को पौधे से एकत्र कर प्रभावित अंग पर दिन में कम से कम दो बार लेप किया जाना चाहिए।

मधुमेह

सदाबहार ( सदाफूली ) के पौधे के चार पत्तों को साफ़ धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें। इससे मधुमेह मिटता है। यह प्रयोग कम से कम तीन महीने तक करना चाहिए।

घाव

इसकी पत्तियों को तोड़े जाने पर जो दूध निकलता है, उसे घाव पर लगाने से किसी तरह का संक्रमण नहीं होता और घाव जल्दी सूख भी जाता है।

बवासीर

पत्तियों और फूलों को कुचलकर बवासीर होने पर इसे लगाने से तेजी से आराम मिलता है। आदिवासी जानकारों के अनुसार, ऐसा प्रतिदिन रात को सोने से पहले किया जाना ठीक होता है।

मुहांसे

सदाबहार के फूलों और पत्तियों के रस को मुहांसों पर लगाने से कुछ ही दिनों में इनसे निजात मिल जाती है। पत्तियों और फूलों को पानी की थोड़ी सी मात्रा में कुचल कर लेप को मुहांसों पर दिन में कम से कम दो बार लगाने से जल्दी आराम मिलता है।

मधुमक्खी के डंक मारने पर

इसकी पत्तियों के रस को ततैया या मधुमक्खी के डंक मारने पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है। इसी रस को घाव पर लगाने से घाव भी जल्दी सूखने लगते हैं। त्वचा पर खुजली, लाल निशान या किसी तरह की एलर्जी होने पर पत्तियों के रस को लगाने पर आराम मिलता है।

मुंह व नाक से रक्‍तस्राव होने पर

लॉर्ड बेकन ने भी अंगों की जकड़न में इसका प्रयोग को लाभदायक बताया। वैसे स्कर्वी, अतिसार, गले में दर्द, टांसिल्स में सूजन, रक्तस्नव आदि में भी यह लाभदायक होता है।

डिप्‍थीरिया रोग के उपचार में

सदाबहार की पत्तियों में मौजूद विण्डोलीन नामक क्षार डिप्‍थीरिया के जीवाणु कारिनेबैक्टिीरियम डिप्थेरी (Corynebacterium diptherae) के खिलाफ सक्रिय होता है। इसलिये इसकी पत्तियों के सत्व का उपयोग डिप्थिीरिया रोग के उपचार में किया जा सकता है। इसके अलावा इस पौधे के जड़ का उपयोग सर्प, बिच्छू तथा कीट विषनाशक (antidote) के रूप में किया जा सकता है।

कैंसर

सदाबहार की पत्तियों में दो Alkaloid पाए जाते हैं, vincristine and vinblastine. एलॉपथी में इन दोनों नामों से इंजेक्शन भी आते हैं जो मुख्यतः कैंसर के रोगियों को दिए जाते हैं. ये कैंसर के कीमो थेरेपी के साथ मे दिया जाता है. कैन्सर के रोगियों को इसकी पत्तियों की चटनी बना कर नियमित दीजिये, अगर रोगी ऐसी हालत में हो जिसमे वो कुछ खा ना सके तो इसका रस निकाल कर दे दीजिये. ध्यान रहे के ये सुबह खाली पेट ही देना है शौच के बाद.

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