औषधीय पौधे ‘मोथा’ के क्या उपयोग हैं? जानिए

मोथा या नागरमोथा को नट ग्रास के नाम से भी जाना जाता है। यह मूलरूप से भारत में उत्पन्न हुआ है लेकिन अब दुनिया के लगभग सभी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

पारंपरिक औषधीय चिकित्सापद्धति आयुर्वेद में इसे दस्त, उल्टी और पेट के अन्य विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पुराने समय में लोग इस के सुगंध के कारण इसे कपड़ों के बीच में deodarant के रूप में रखते थे।

मुस्ता कसैला, कड़वा है और कफ और पित्त को कम करता है। यह आँतड़ियों की गतिशीलता को कम करता है। यह एक उत्कृष्ट पाचक, वातहर और शोषक है |

इसमें एंटी-अमीबिक क्रिया है। इन्ही कारणों से मुस्ता दस्त, पेचिश जैसी बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार यह ज्वर याने बुखार के लिए श्रेष्ठ औषधीयों में से एक है।

मुस्ता कंद में वेदनाशामक, मस्तिष्क शामक, एंटीस्पास्मोडिक, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण है |

मोथा, डिलीवरी के बाद माता में दुग्ध की शुद्धि और मात्रा बढ़ाने के लिए उपयुक्त है। बच्चे को दस्त होने पर, मोथा का काढ़ा बना कर माँ को पिलाया जाता है।

मोथा, मस्तिष्क शामक है और आक्षेप (convulsions), अनिद्रा में फायदेमंद है।

मोथा के कुछ घरेलु उपयोग :

– शहद के साथ आधा चम्मच मुस्ता पाउडर लेने से अपचन के कारण होने वाली पेट की मरोड़ में मदद मिलती है।

– दूध और 3 गुना पानी के साथ मुस्ता कंद को उबालें। केवल दूध मात्र रहने पर इसे छान ले और पीएं। यह पेचिश और दर्द युक्त दस्त में मदद करता है।

बेहतर परिणामों के लिए इन दोनों को भोजन के बाद दिन में दो बार लिया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *