औरंगजेब के विरुद्ध सर्वप्रथम आवाज उठाने वाला हिन्दू योद्धा कौन था? जानिए

औरंगजेब कटटर सुन्नी मुसलमान था उसे शाहजहां से 1658 में दिल्ली आगरा का राज्य मिला और वह हिन्दुओं को काफिर समझता था. उन्हें मुसलमान बनाना चाहता था. इसलिए उसने अपने राज्य में हिन्दुओं को त्यौहार मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया. हिन्दुओं को घोड़े कि सवारी तथा हथियार बांधकर चलने पर रोक लगा दी. नदी किनारे दाह संस्कार बंद कर दिया. मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाना शुरू कर दिया.

हिन्दुओं पर जजिया लागु कर दिया.हिन्दुओं को मुसलमानी पहनावा पहनने के लिए मज़बूर किया और राज्य में ईश निंदा क़ानून लागु कर दिया. धर्म परिवर्तन को बढ़ावा दिया जबर्दस्ती हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए धन का प्रलोभन भी दिया. आदमी औरत और बच्चों को इस्लाम अपनाने के लिए क्रमशः चार दो और एक रूपये कि आर्थिक सहायता राजकोष से मुहैया करवाई. इनमे से बहित सारे क़ानून उसने 1669 में लागु किये कुछ पहले किये. जजिया 1679 में लागु किया.

हिंदू उसके राज्य में त्राहि त्राहि करने लगे और पुरा उत्तर भारत उसके कहर से कांप गया. 1661 में उसने मथुरा में केशवराय मंदिर तुड़वाकर उसकी मुर्तिया भ्रस्ट कर अपवित्र कर दी और जामा मस्जिद मै चिंनवा दी.कश्मीर पंजाब में हिन्दुओं को जबर्दस्ती मुसलमान बनाया गया और उधर से विद्रोह कि चिंगारी भड़कमे लगी. औरंगजेब ने सब विद्रोहियों को मरवा दिया विद्रोह को दबा दिया.

मथुरा में गोकुला के नेतृत्व में जाटों का विद्रोह और संघर्ष : मथिरा ब्रज में अब्दुल नबी नाम का उसका फौजदार था उसने औरंगजेब के नियम नीति लागु कर हिन्दुओं को मुसलमान बनाना शुरू किया. उनकी बहन बेटियों को जबर्दस्ती उठवाने लगा और केशवराय मनंदीर को अपवित्र कर दिया 1661 में. 1666 में केशवराय मांदीर का संगमरमर का जंगला भी उठवा लिया. हिन्दुओं पर पूजा पाठ कि आजादी छीन लि. उनपर राहगीरी जैसे कर लगा दिए. किसानो पर टैक्स बड़ा दिया. धर्म परिवर्तन में जबर्दस्ती करने लगा.

इन सब बातों से ब्रजमण्डल के जाट किसान वीर गोकुला के नेतृत्व में इकट्ठे होकर राजा कि निटियों का विरोध करने लगे. यह औरंगजेब कि राज शक्ति के विरुद्ध पहला हिंदू सशस्त्र विरोध था. औरंगजेब पहले ही मदांध था और अपनी शक्ति के नशे में चूर था. उसने अपने पिता और शक्तिशाली भाइयोओं का वध कर राजसत्ता शक्ति से हिहासिल करि थीगोकुला ने मथुरा के फौजदार नबी का विरोध किया. उसे हिंदी किसानो का समर्थन मिला.

उसने अपने दादा सिंघा के साथ मिलकर एक सेना बनाई जिसके पास लाठी बलम फरसा आदि जाथियार दिलवाये बंदूक भी खरीदी और बीस हज़ार फ़ौज तैयार कर दी. यह हरयाणा के तिलपत का रहने वाला था. बाद में इसने सिनसिनी को अपना गढ़ बनाया. किसानो ने टैक्स देना बंद किया. अब्दुल नबी ने किसानो से जबर्दस्ती कि और सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गया. 1668 में अब्दुल नबी को जाटों ने हरा दिया और मार दिया. शाही सेना भाग गयी. गोकुला के नेतृत्व में किसान सादाबाद कि छावनी पर धावा बोल दिए एयर छावनी छीन लि.

1669 में औरंगजेब ने जाटों को दबाने के लिए सेफकिशन को मथुरा का फौजदार बनाया और जाटों कि गाड़ियों को अधिकार में लेने के लोए बोला. सेफकिशन ने रिवफा,चंद्रुर और सररूर कि गाड़ियों पर धावा बोल दिया. इनके पास तोप आदि थे जबकि जाट बिना बारूद हथीयारों के थे, लेकिन हार नहि माने और लड़ाई चलती रही. इस युद्ध में जाट और शाही फ़ौज आमने सामने लड़ते रहे. फिर औरंगजेब ने शाही सेना को मज़बूत करने के लिए हसन अली खान को दस हज़ार सशस्त्र फ़ौज के साथ जाटों को नेशतनाबूद करने के लिए भेजा.

हसन खान ने तिलपत कि तरफ बड़ा सादाबाद से. गोकुला ने रसते में ही झपट्टा मारकर शाही सेना को नुकसान पहुंचाया. लेकिन जाट तोपों के आगे न ठहर सके. फिर तिलपत में जाटों ने मोरछा लिया. यह लड़ाई 1669 दिसंबर में हुयी. तिलपत में पांच दिन तक शाही सेना कि तोप और बंदूको सहित मुग़ल सेनिको से जाट भाले, वर्छै और फरसे से ही सामना किये. जाटों के पांच हज़ार सिपाही मारे गए. सात हज़ार कैद किये गए. चार हज़ार मुग़ल फ़ौज भी कट डाली. बाद में गोकुला और उसके दादा उदय सीघा पकड़े गए.

उनको बंदी बनाकर आगरा में औरंगजेब कि अदालत में पेश किया गया. औरंगजेब ने सभी जाटों को मुसलमान बनने कि शर्त पर छोड़ने का फरमान सुनाया, जिसे वीर गोकुला ने मना कर दिया और हिंदू ही मरने कि कसम खायी. उसके साथ क्रूर औरंगजेब ने बहुत अत्याचार किया. उसे शम्भाजी राजे से भी खरनाक दर्दनाक मृत्यु दी. यह पहला हिंदू वीर योद्धा था जो न राजा था न कोई बफा जमींदार था न इसके पास कोई रिटवा रकवा था. एक साधारण किसान था किसानो कि दिक्क़त समझता था हिंदू था सर्पित था. अत्याचार न सह सकता था न करया था. इसके साथ बीस हज़ार कि फ़ौज का लड़ने मरने के लिए जुट जाना इसकी काबिलियत सिद्ध करया है. वीर गोकुला का यह बलिदान एक जमवरी 1770 को आगरा में हुआ. इसके बाद जो सात हज़ार कैदी थे जाट योद्धा उनमे से जिन्होंने इस्लाम स्वीकार नहि किया उनका कत्ल कर दिया और शेष को मुसलमान बना दिया. गोकुला कि बेटी को मुसलमानों से जबर्दस्ती निकाह कर दिया. गोकुला के बेटे भी इस्लाम नहि स्वीकार किये. उसकी पत्नी गोकुला के साथ ही मर गयी. जो औरतें इन गडीयों में थी और तिलपत में थी हिंदू जाटों कि उन्होंने जोहर किया. गोकुला के बाद मुसलमानो न्ने गोवर्धन गोकुल में मंदिर तोड़ डाले किसानो से माना कर वसुला.

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