ऑटोमोबाइल के फर्स्ट गियर में इतना पॉवर कैसे रहता हैं वहीं टॉप गियर में कम पॉवर किन्तु अधिक स्पीड पर चला सकते
गियर कुछ और नहीं “गरारी” को ही गियर बोलते हैं, जी हाँ वही गरारी जिसपे कुछ नोकीले दांत होते हैं। गियर का काम है पॉवर या टार्क को इंजन से शाफ्ट या अगले गियर को प्रदान करना।
प्रश्नकर्ता जी ने सवाल बहुत अच्छा पूछा है बस एक कनफ्यूज़न में दिख रहे हैं, आप सभी को भी यही कनफ्यूज़न होगी।
आपने कहा की फर्स्ट गियर में इतना पॉवर होता है, टॉप में कम पॉवर, जी नहीं वास्तव में फर्स्ट गियर में कम पॉवर होता है, टॉप गियर में पॉवर सबसे ज्यादा होती है, आप जिसे पॉवर समझ रहे थे वह टार्क (torque) है।
जब इंजन के पास ज्यादा पॉवर होगी तभी वो ज्यादा स्पीड से चल सकेगा इसीलिए टॉप गियर में ऑटोमोबाइल ज्यादा स्पीड से चल पाते हैं, क्योंकि पॉवर ज्यादा होती है।
(गियर रेश्यो और टीथ की गणना)
अब बात आती है की फर्स्ट गियर में ज्यादा टार्क क्यों चाहिए जी देखिये जब भी कोई वास्तु स्थिर मुद्रा में है तो वो स्थिर ही रहना चाहती है, वो अपनी स्थिरता में बदलाव का विरोध करती है (law of inertia), लिमिटिंग फ्रिक्शन को खत्म कर गाड़ी को शुरुआती धक्का देने के लिए टार्क चाहिए, इसीलिए ऊंचाई पे चढ़ाते समय भी लोग गाड़ी में फर्स्ट गियर लगाते हैं।
अब देखते हैं गियर सिस्टम काम कैसे करते हैं;
मुख्यतः 2 गियर होते हैं ड्राईवर और ड्रिवेन, ड्राईवर गियर होता है जिसमे इंजन अपनी पॉवर भेजता है, या पहला गियर जिसपे सीधा पॉवर आती है, दूसरा ड्रिवेन जो पहले गियर की पॉवर से चैन या बेल्ट द्वारा चलता है और पहिये या मशीन को घुमाने में काम आता है।
अब देखिये यदि हमें टार्क या कम गति चाहिए गो सबसे बड़े आकर के गियर पर पावे आएगी मतलब गियर फर्स्ट लगा हुआ है इस स्थिति में पॉवर कम होगी, तो ज़ाहिर है स्पीड भी कम होगा, किंतु टार्क बहुत ही ज्यादा होगा।
अब ऐसे ही क्रम से अंत तक टॉप गियर पर आते आते पॉवर अधिकतम होगी और टार्क न्यूनतम, पॉवर ज्यादा यानी की स्पीड भी ज्यादा।
अगर आप इससे भी अधिक समझना चाहते हैं तो अगले सवाल या कमेंट डाल कर पूछ सकते हैं, लेकिन मेरे अनुसार जो मैंने बताया वो पूर्णतः आपको समझने में सहायक सिद्ध होगा।