ऐसी 4 अपवित्र चीज़ें जो हैं पवित्र , पूजा में होता है इस्तेमाल
हमारे हिंदू धर्म में बहुत से ग्रंथों का उल्लेख हैं और इन्ही ग्रंथों में इंसान के हित के लिए और ज्ञान को बढ़ाने के लिए भी बहुत सी बातें पढ़ने व समझने को मिलती है। वहीं, विष्णु स्मृति की बात करें तो उसमें हिंदू धर्म में अपवित्र चीजों को भी पवित्र बताया गया है। यह सत्य है कि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो हमें जानवर, पक्षी और कीड़ों के मल, उल्टी और उनके मरने से ही प्राप्त होते हैं।
आज वेद संसार आपको सबसे चौंका देने वाली बातें बताने जा रहा है जिसे जानकर शायद आप भी यह सोच में पड़ जाएंगे कि भला पूजा में अपवित्र चीज़ों का क्यों होता है इस्तेमाल –
दूध
सबसे पहले बात करते हैं गाय के दूध की… इसे सबसे पहले उसका बझड़ा जूठा करता है और फिर उसके बाद ही हमें दूध की प्राप्ति होती है लेकिन गाय के दूध को पांच अमृतों में एक माना गया है। यही नहीं, इसका उपयोग देवी-देवताओं के अभिषेक के लिए खूब किया जाता है और साथ ही भोग के लिए दूध से खीर व घी बनाते हैं जिन्हें नैवेद्य के रूप में भगवान को चढ़ाया जाता है। गाय के दूध को लोग अमृत भी बोलते हैं।
श्लोक:
उच्छिष्टं शिवनिर्माल्यं वमनं शवकर्पटम् । काकविष्टा ते पञ्चैते पवित्राति मनोहरा॥
अर्थात- उच्छिष्ट, शिव निर्माल्यं, वमनम्, शव कर्पटम्, काकविष्टा, ये पांचों चीजें अपवित्र होते हुए भी पवित्र है।
शहद
वहीं, मधुमक्खी जब फूलों का रस लेकर अपने छत्ते पर आती है तब वह अपने मुख से उसे निकालती है यानि कि उस रस की उल्टी कर देती है जिससे शहद बनता है। मधुमक्खी द्वारा की गई उल्टी को भी लोग बहुत पवित्र माना जाता है। बता दें कि शहद का उपयोग मांगलिक कामों में किया जाता है। यही नहीं, पांच अमृतों में शहद को भी एक माना गया है।
रेशमी वस्त्र
बात अगर रेशमी वस्त्र की करें तो मांगलिक कामों और पूजा-पाठ में रेशमी वस्त्र का होना अनिवार्य माना जाता है। बता दें कि रेशमी वस्त्र को भी पवित्र माना गया है, लेकिन आपको बता दें कि रेशम को बनाने के लिए सबसे पहले उसको उबलते पानी में डाला जाता है और फिर इससे उसमें रहने वाला रेशम का कीड़ा मर जाता है। उसके बाद ही रेशम मिलता है तो इस प्रकार शव कर्पट होने के बाद भी इसे पवित्र माना जाता है।
पीपल का पेड़
कौवा जो है वह पीपल आदि पेड़ों के फल खाता है और उन पेड़ों के बीज अपनी विष्टा यानि कि मल में इधर-उधर छोड़ दिया करता है जिससे पेड़ों की उत्पत्ति होती चली जाती है। पीपल भी काक विष्ठा यानि कि कौए के मल में निकले बीजों से ही पैदा होता है, लेकिन फिर भी इसको पवित्र माना गया है। लोगों की मानें तो पीपल पर देवताओं और पितरों का निवास होता है।