एक तितली की कहानी जो अब कुछ करने के लिए मजबूर हो जाइएगा

किसी गांव में रामू श्यामू नाम के दो दोस्त रहते थे रामू पढ़ने लिखने में बहुत अच्छा था जो अपना काम टाइम टाइम पर करता था वह हर काम मेहनत और लगन से करता था लेकिन वही काम श्यामू विपरीत करता था रामू मेहनत और संघर्ष से जीता था लेकिन श्यामू सोचता था कि सब कुछ ऐसा ही मिल जाए।

1 दिन का बात है श्यामू एक बगीचा में बैठा था उससे बगीचा में तितली अपने बच्चों को अंडा देकर कहीं दूर चले गए थे उस अंडे में से बच्चे निकलने के लिए बार-बार अपने पंख पर तूने जलाते थे लेकिन उसमें से निकल नहीं पाती श्यामू उसे देख रहा था

और मजे ले रहा थ। वह तितली निकलने के लिए संघर्ष और मेहनत दोनों कर रहे थे लेकिन निकल नहीं पा रहे थी। लेकिन लेकिन तितली मेहनत संघर्ष करना नहीं छोड़ी शाम हो गया श्यामू घर चला गया सुबह होते हैं उस बगीचे में श्यामू फिर से आया और देखा कि तितली अभी भी अपने मेहनत और संघर्ष दोनों कर रही है देखकर श्यामू उसे निकाल दिया तितली जमीन पर गिर गई और वह उड़ नहीं सकते थे कुछ समय के बाद श्यामू देखा कि तितली उड़ नहीं रही है यह बात अपने दोस्त रामू से कहा रामू से बोला यहां गलती तुम्हारा है

श्यामू रामू पर गुस्सा और बोला यह गलती कैसे मेरे में है। रामू अपने दोस्त को समझाते हुए बोला कि बहुत तितली बार-बार उड़ने के प्रयास जो कर रहे थे वह अपने पंख जमाने के लिए करें और मजबूत करने के लिए कर रहे थे जिसकी वजह से बढ़ सकते थे इसीलिए यह उड़ नहीं रहे हैं इतना सुनकर है श्यामू का मन दुख हो गया और श्यामू सोचने लगा के यह दुनिया में जो भी है मेहनत और संघर्ष के अलावा कुछ नहीं है।

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