एक ऐसी विधि इसके द्वारा महात्मा बुद्ध ने सत्य को प्राप्त किया जो है संसार की सबसे सरलतम विधि

हम सभी ने महात्मा गौतम बुद्ध के बारे में बहुत कुछ जाना पड़ा है आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि उन्होंने किस विधि के द्वारा सत्य को प्राप्त किया।

एक बार एक व्यक्ति बौद्ध भिक्षु के पास जाकर उनसे पूछता है कि यह बौद्ध भिक्षु आप मुझे ध्यान करना सिखा सकते हैं। मैं उसी विधि से ध्यान करना चाहता हूं जिसके द्वारा महात्मा गौतम बुद्ध ने सत्य को प्राप्त किया था।

बौद्ध भिक्षु बोलते हैं हां मैं तुमको जरूर वह विधि बताऊंगा । बौद्ध भिक्षु कहते हैं तुम अल्टी पलटी मार कर सीधी कमर को रखकर बैठ जाओ और वह देखो जो तुम्हें दिख रहा है अंदर भी और बाहर भी। इतना कहकर बौद्ध भिक्षु वहां से चले जाते हैं। वह व्यक्ति सोचता है कि मुझे तो बौद्ध भिक्षु ने आंख बंद करने के लिए भी नहीं कहा ना ही उन्होंने कहा कि तुम अपनी सांसो पर ध्यान केंद्रित करो। वह व्यक्ति असमंजस में पड़ जाता है।

कुछ समय पश्चात वह बौद्ध भिक्षु दोबारा से उस व्यक्ति से मिलता है और पूछता है कि तुम्हारा ध्यान का अनुभव कैसा रहा। वह व्यक्ति बोलता है कि आपने मुझे कुछ बताया तो नहीं और आप पूछ रहे हैं कि मेरा ध्यान का अनुभव कैसा रहा। मैं यह जानता हूं कि गौतम बुद्ध ने विपस्सना के द्वारा सत्य को प्राप्त किया था। लेकिन आपने विपस्सना के बारे में कुछ नहीं बताया। बौद्ध भिक्षु बोलते हैं कि मैंने तुम्हें विपस्सना करना ही बताया था। वह व्यक्ति बोलता है कि कैसे। बौद्ध भिक्षु बताते हैं कि विपस्सना का अर्थ सांसो पर ध्यान केंद्रित करना ही नहीं होता। विपस्सना का अर्थ है वर्तमान में जीना हर क्षण को जीना।

मैंने तुम्हें जो विधि बताई थी इसके द्वारा तुम वर्तमान में जीना धीरे-धीरे सीख जाते लेकिन शुरुआत में ही सांसो पर ध्यान केंद्रित करना बहुत ही ज्यादा कठिन है। वह व्यक्ति पूछता है कि मैं शुरुआती दौर में क्या करूं ? शुरुआत में तुम्हें अल्टी पलटी मार कर बैठना और अधिक समय तक बैठने को अभ्यास में लाना चाहिए। जितना अधिक संभव हो सके इतनी देर तक तुम्हें बैठे रहने का अभ्यास करना चाहिए। जिधर भी जाए अपने मन को जाने देना चाहिए और उसी चीज पर एकाग्र करना चाहिए।

वह व्यक्ति पूछता है मुझे शुरुआत में अपनी सांसो पर केंद्रित परपर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या विचारों पर l शुरुआती दौर में अगर आपका मन विचारों को देखने का करता है तो तुम्हें विचारों को देखना चाहिए या फिर किसी आवाज की तरफ जाता है तो उसे ध्यान से सुनना चाहिए यदि आपका मन सांसो पर ध्यान केंद्रित करने को करता है तो सांसो पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेकिन शुरुआती दौर में तुम्हें अत्यधिक समय तक बैठे रहने का अभ्यास करना चाहिए।

गौतम बुद्ध ने कहा है कि विपस्सना एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा तुम वर्तमान में जीना सीख जाओगे जो व्यक्ति वर्तमान में जीता है उसे कभी भी दुख नहीं होता ना ही वह कभी अपने भूतकाल को याद कर कर रोता और ना ही कभी भविष्य को लेकर चिंता होता उसका मकसद से वर्तमान को अच्छे से करना होता है। महात्मा बुद्ध ने भी विपस्सना के द्वारा ही सत्य को प्राप्त किया था।यदि आपको लगता है कि आपका ध्यान करेगी सांसो से हटकर विचारों की तरफ जा रहा है तो आप को बड़े ही प्यार से अपने ध्यान को फिर से सांसो पर लाना होगा।

आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है कि मेरा ध्यान सांसो से हटकर विचारों की तरफ जाता है क्योंकि सांसो पर ध्यान केंद्रित करते समय आपका ध्यान विचारों की तरफ जाता है तो इसका अर्थ है कि वह भी वर्तमान में हो रहा है बस अपने आप को एकाग्र करते हुए अपने ध्यान को सांसो पर केंद्रित करें।यदि आपको फिर भी लगता है कि मुझे ध्यान किसी और चीज पर लगाना चाहिए तो आपको अपनी पूरी एकाग्रता तथा जागरूकता के साथ कुछ दूसरी चीज पर ध्यान लगाना चाहिए। दोबारा मैं आपसे चाहता हूं कि विपस्सना का अर्थ वर्तमान में जीना होता है।

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