इस गांव के लोग सोते हैं पूरे 1 महीने इन पर छाया है नींद का रहस्यमयी आतंक

इस दुनिया में कई ऐसी रहस्यमयी घटनाएं होती हैं, जो न केवल अत्यंत आश्चर्यजनक होती है बल्कि उनका कारण भी किसी को समझ ही नहीं आता. कुछ ऐसी ही घटना अप्रैल 2010 से उत्तरी कजाकिस्तान के कलाची गांव में हो रही है. जिसके चलते इस गाँव को Sleepy Hollow कहा जाने लगा है. दरअसल यह गाँव पिछले 5 सालों से अधिक समय से एक रहस्यमयी नींद की बीमारी से पीड़ित है. इस गाँव के निवासी कभी भी कुछ भी करते हुए अचानक से सो जाते हैं और उनकी ये नींद कुछ घंटों से लेकर कई महीनो तक जारी रह सकती है. और उठने के बाद उन्हें मेमोरी लॉस , कमजोरी और सिर दर्द जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

बीमारी की शुरुआत:
इस गाँव में नींद की बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2010 में हुई थी. तब से यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी अचानक से नींद आ जाती है. कभी-कभी यह नींद कुछ घंटो की होती है जबकि कभी-कभी यह नींद महीनो तक चलती है. मार्च 2013 के बाद से, इस रहस्यमय बीमारी ने गाँव के 810 लोगों में से 140 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. जो कलाची और मास्को मैदान में धूल भरी बस्तियों में रहते हैं. अप्रैल 2010 में पीड़ित प्रथम व्यक्ति को अब तक इस बीमारी का अटैक 7 बार हो चुका है और वो कुछ दिनों से महीनो की नींद सो चुका है.

2014 की जांच पड़ताल के बाद एक समाचार पत्र Komsomolskaya Pravda ने सूचना दी. “बीमार व्यक्ति उस दौरान जागरूक प्रतीत होता है और यहां तक ​​कि चल सकता है. लेकिन उसी समय वह एक गहरी नींद में चले जाता है , और वे उसे जगाया जाता है तब, उस व्यक्ति को कुछ भी याद नहीं रहता. “

रहस्यमयी बीमारी का कारण:

इस रहस्यमयी बीमारी का कारण कई बार सोवियत संघ के पतन के बाद बंद हो चुकी यूरेनियम की खदान को माना गया, जिसके पास कजाकिस्तान का यह गाँव स्तिथ है. जिसमे से ज़हरीला रेडिएशन होता रहता है. पर कजाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाँव के 7000 घरों की जांच के दौरान पाया कि गाँव में रेडिएशन की मात्रा कोई ख़ास ज्यादा नहीं है. अतः इस घटना के लिए यूरेनियम की खदान को जिम्मेदार मानने के लिए ये सुबूत पर्याप्त नहीं थे. साथ ही डॉक्टर्स भी रेडिएशन को इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं मानते है.

इस रहस्यमयी बीमारी का वास्तविक कारण अभी तक वैज्ञानिको की पकड़ में नहीं आ सका है. अभी तक की जांच में यह पाया गया है की इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के दिमाग में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है. लेकिन एक सामान्य व्यक्ति के दिमाग में अचानक से यह तरल पदार्थ क्यों बढ़ जाता है इसका कारण अभी तक नहीं समझ आया है. डॉक्टर्स इसका एक मात्र कारण प्रदूषित पानी बताते है

इस प्रकार अभी तक वैज्ञानिक अपने निरन्तर प्रयासों के बावजूद भी इस बीमारी के वास्तविक कारण और इलाज को नहीं खोज पाये हैं.

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