इन 6 फार्मूले को लेकर ही बनती है ज्यादा तर बॉलीवुड की फिल्में

1) प्यार का दुखद अंत :

लाखो प्रयासों के बाद भी हीरो – हीरोइन का मिलन नहीं हो पाता है। अगर ऐसी फिल्मों की बात करें तो सबसे पहले याद आता है ” तेरे नाम, देवदास, आवारापन, रॉकस्टार, मसान ” जैसी फिल्मों का नाम याद आता है।
2) अपने प्यार का बदला :

अपने प्यार का बदला लेने के लिए हीरो किसी भी सरहद या कानून का पालन नहीं करते हुए सीधे विलान के घर में घुसकर उसका हरा था है। अगर ऐसी फिल्मों के बारे में बात करे तो हमे सबसे पहले ये सब फिल्म आते है याद ” हेट स्टोरी, गजनी, बदलापुर, एक विलेन, एनएच10 ” ऐसी ही फिल्मों के उदाहरण दे सकते है।
3) सायको लवर :

प्यार भी कभी-कभी पागलपन बन जाता है। इस प्लॉट पर बनी फिल्मों को देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है। डर, कोई मेरे दिल से पूछे, एक हसीना थी, मर्डर, गायब ऐसी फिल्मों में शामिल हैं।
4) घूमने – फिरने की वजह से प्यार होगया :

हीरो-हीरोइन दोनों एक ही जगह घूमने जाते हैं लेकिन वो दोनों अनजान रहते है। ऐसे में एक ऐसी घटना होता हैं कि वो दोनों एक दूसरे को जानने लगते हैं और उन दोनों में धीरे धीरे प्यार हो जाता है। उदहारण : ( जब वी मेट, डीडीएलजे, ये जवानी है दीवानी, तमाशा, हद कर दी आपने ) ऐसी फिल्मों के नाम लिस्ट में है।
5) पहले से किसी रिश्ते में होना :

इस फॉर्मूले पर बनी फिल्मों में एक बात कॉमन होती थी जिसमें हीरो-हीरोइन के आपस में मिलने से पहले, दोनों में से कोई पहले से ही किसी रोमांटिक या जर्बदस्ती के रिश्ते में बंधा होता है। इस फॉर्मूले पर बनी फिल्म हैं, हंसी तो फंसी, तन्नू वेड्स मन्नू, वीर-जारा, हमको दीवाना कर गए, अजब प्रेम की गजब कहानी।
6) पारिवारिक रंजिश :

इस के अंदर हीरो-हीरोइन दोनों जान एक दूसरे से प्यार करते है लेकिन उनके बीच में परिवार का दुश्मन दीवार बन जाता है। जी हां, कुछ ऐसे प्लॉट पर अनगिनत फिल्में बन चुकी है। जैसे कयामत से कयामत तक, इश्कजादे, सौदागर, सनम बेवफा, रामलीला।

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