इन जगहों पर 15 अगस्त 1947 को नहीं फहराया गया था तिरंगा,जानिए क्यों

15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के साथ कई ऐसे क्षेत्र थे जहां पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका था, क्योंकि उन क्षेत्रों के शासक भारतीय गणराज्य के अधीन नहीं आना चाहते थे.तो चलिए उन राज्यों के बारे में जानते हैं.

गोवा

1947 में भारत के आजाद होने के वक्त पुर्तगाल ने गोवा को आजाद करने से इनकार कर दिया. इसके करीब डेढ़ दशक बाद 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय अभियान चलाकार गोवा और दमन व दीव द्वीप को आजाद करवाया और उसे भारतीय गणराज्य में शामिल किया. इसके बाद गोवा और दमन व दीव को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. आजादी के बाद करीब 15 वर्षों तक यहां पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका.

पुड्डुचेरी

1947 में भारत के आजाद होने के बावजूद कई वर्षों तक पुड्डुचेरी भारत सरकार के अधीन नहीं था. यह एक फ्रांसीसी कॉलोनी था. यहां पर फ्रांस का शासन चलता था. तमिलनाडु से सटे समुद्र किनारे स्थिति यह जगह वास्तविक रूप से एक नवंबर 1954 को भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना. इतना ही नहीं कानूनी रूप से 16 अगस्त 1962 को इसे भारत में शामिल किया गया.

सिक्किम

1947 में देश को मिली आजादी के वक्त यह पूर्वोत्तर की एक बड़ी रियासत थी. यहां चोगयाल का शासन था. आजादी के बाद इसने भारत सरकार के साथ अपना स्वतंत्र संबंध बनाए रखा. भारत सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद यह भारतीय गणराज्य का हिस्सा नहीं बना. अंततः 1973 में वहां पर राजशाही के खिलाफ विद्रोह भड़क गया. 1975 में जनता में राजशाही को खत्म कर दिया. इसके बाद 1975 में ही करवाए गए जनमत संग्रह के आधार पर वह भारत का 22वां राज्य बना. यहां पर 15 अगस्त 1947 को तिरंगा नहीं फहराया जा सका था.

नगालैंड

आजादी के वक्त नगालैंड, असम प्रांत के तहत आता था. वहां पर नगा विद्रोही अपने लिए एक स्वतंत्र देश की मांग कर रहे थे. इसको लेकर वहां पर हिंसा का एक लंबा दौर चला. बाद में भारत सरकार को वहां व्यवस्था कायम करने के लिए 1955 में सेना भेजनी पड़ी. इसके बाद 1957 में भारत सरकार और फीजो के नेतृत्व वाले नगा नेशनल काउंसिल के बीच नगा हिल्स के लिए एक अलग क्षेत्र बनाने को लेकर समझौता हुआ.

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