इजराइल का ये आयरन डोम क्या बला है? जानिए

इजरायल का आयरन डोम सिस्टम दुनिया का सबसे अच्छा मिसाइल रोधी सिस्टम है। यह एक ऐसा सिस्टम है जिससे पूरे शहर को किसी भी मिसाइल हमले से बचाया जा सकता है। इस व्यवस्था में रॉकेट, मोर्टार के गोले, यूएवी और मिसाइल को हवा में मार गिराया जा सकता है।

यही कारण है कि हुमस ने इजरायल की ओर 300 से अधिक गोले दागे, जिनमें से एक दर्जन ही जमीन पर गिर सके। इज़राइल ने 2006 में इस प्रणाली पर काम करना शुरू किया। यह उस समय की बात है जब इज़राइल और लेबनान के बीच युद्ध चल रहा था और लेबनानी भूमि से आतंकवादी संगठन हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के शहरों में हजारों गोले दागे थे, जिससे इज़राइल को बहुत नुकसान हुआ था। इसके बाद आयरन डोम सिस्टम का आविष्कार हुआ।

इस व्यवस्था में तीन से चार चीजें एक साथ काम करती हैं। पहली चीज एक शक्तिशाली रडार है, जो समय में आकाश में सबसे छोटी वस्तु को देखता है और अलर्ट जारी करता है। यह अलर्ट बैटल मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा है जहां वरिष्ठ अधिकारी बैठते हैं। लेकिन जब यह सिस्टम ऑन होता है तो इसे बार-बार फायर करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह अपने आप काम करता है। आप इसे एक स्वचालित प्रणाली भी कह सकते हैं। यह सिस्टम मिसाइल बैटरी से जुड़ा है, जो हवा में खतरे को ट्रैक करती है और अलर्ट मैसेज मिलते ही इसे हवा में गिरा देती है। इस्राइल ने हर बड़े शहर में इस व्यवस्था का जाल बिछा रखा है।

आयरन डोम मोबाइल लॉन्चर को ट्रक की मदद से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसके डिटेक्शन-ट्रैकिंग रडार, वेपन कंट्रोल सिस्टम और मिसाइल फायरिंग यूनिट को अचूक माना जाता है। जहां राडार 4 से 70 किमी की दूरी से लक्ष्य की पहचान कर उस पर नजर रखता है। वहीं, इसके चार से पांच लॉन्चर एक बार में 20 मिसाइल ले जाते हैं। इन मिसाइलों में हीट और इलेक्ट्रिक सेंसर होते हैं और अन्य मिसाइलों से टकराकर इन्हें नष्ट कर देते हैं।

रक्षा ठेकेदार कंपनी राथॉन के मुताबिक आयरन डोम की एक इकाई करीब 155 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम है। हालांकि, गाजा की ओर से हमलों को रोकने के लिए इन प्रणालियों को केवल उच्च आबादी वाले क्षेत्रों में ही तैनात किया गया है।

आयरन डोम प्रणाली की एक और विशेषता है। इसकी मिसाइल में एक सिस्टम होता है कि अगर डोम की मिसाइल सीधे दुश्मन की मिसाइल से नहीं टकरा पाती है तो उसके करीब 10 मीटर का आकार फट जाता है, जिससे दुश्मन की मिसाइल हवा में ही नष्ट हो जाती है. लेकिन यह पूरा सिस्टम बहुत महंगा है। बैटरी में 4 मिसाइल हैं, जिनकी कीमत 7.3 करोड़ रुपये है। हर मिसाइल की कीमत 59 लाख रुपये है लेकिन हमले में इस्तेमाल होने वाले सस्ते रॉकेट की कीमत सिर्फ 1 लाख रुपये है. यह प्रणाली हर खतरे को रोकने के लिए 2 मिसाइलों का उपयोग करती है, यानी यह प्रणाली अचूक है लेकिन महंगी भी है।

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