आत्महत्या करने वालों के लिए गरुड़ पुराण में क्या लिखा है, जरूर जानिए

आजकल आत्महत्या जैसी घटनाएं आंम हो गई हैं, आखिर जीवन का इस प्रकार से नाश कर लेना कितना सही है …और इस बारें में हमारे पुराणों और महाकाव्यों में क्या लिखा है इस बात की भी चर्चा करेंगे…उससे पहले ये भी बता दें की मौत के बाद सभी प्रक्रिया गरूण पुराण में दर्ज है तो गरूण पुराण के अनुरूप अगर कोई आत्महत्या करता है तो उसकी क्या गति होती है इस बात पर आज हम आपको विस्तार से बताते हैं…

हिन्दू धर्मानुसार मृत्यु के बाद आत्मा

सनातन पद्धति और हिन्दू धर्मानुसार मृत्यु के बाद आत्मा की मुख्यतौर पर तीन तरह की गतियां होती हैं- 1.उर्ध्व गति, 2.स्थिर गति और 3.अधोगति। दरअसल आत्महत्या शब्द ही गलत है, । आत्मा की किसी भी प्रकार से कोई भी हत्या नहीं की जा सकती। हत्या होती है शरीर की। इसलिए इसे स्वघात या देहहत्या कह सकते हैं। अगर कोई दूसरों की हत्या करे तो उसे ब्रह्म दोष लगता है लेकिन खुद की ही देह की हत्या करना उससे भी बड़ा अपराध है। जिस देह के माध्यम से आपने अपनी प्रत्येक इच्‍छाओं की पूर्ति की उस देह की हत्या करना बहुत बड़ा पाप है।

वैदिक ग्रंथों में आत्मघाती दुष्ट मनुष्यों के बारे में कहा गया है: आत्मघाती मनुष्य मृत्यु के बाद अज्ञान और अंधकार से परिपूर्ण, सूर्य के प्रकाश से हीन, असूर्य नामक लोक को गमन कहते हैं। मतलब जो मनुष्य खुद की हत्या करता है उसका अगला जीवन अंधकार मय विराना हो जाता है और अगला जन्म एक ऐसे ग्रह पर होता है जहां पुण्य का वास नही होता.. गरूड़ पुराण में जीवन और मृत्‍यु के हर रूप का वर्णन किया गया है और पूरे वर्णन के साथ किया गया है।

…सभी धर्मों में आत्‍महत्‍या को निंदनीय माना जाता है, क्‍योंकि धर्म के अनुसार कई योनियों के बाद मानव जीवन मिलता है ऐसे में उसे व्‍यर्थ गंवा देना मूर्खता और अपराध नहीं तो और क्या है …और इस प्रकार शरीर में वास करने वाली आत्मा भी रूस्ट या नाराज हो जाती है ..लिहाजा आत्मा भी आत्महत्या के बाद अधर में रह जाती है ..और सांसारिक माया के मोहपाश में बंधकर भटकने लगती है ..इसलिए एक शाश्वत शांति को पाने के लिए आत्महत्या कतई एक रास्ता नहीं हो सकता।

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