अमेरिका में बाइडेन प्रशासन ने कोविड वैक्सीन के रॉ मटेरियल को भारत में भेजने के लिए भारत के अनुरोध को क्यों अस्वीकार कर दिया? जानिए सच

याद करें जब अमेरिका में चुनाव हो रहे थे तब भारत में एक वर्ग ट्रम्प की हार और जो बाइडेन के जीत की कामना कर रहा था और बाइडेन की जीत पर उनके द्वारा जश्न मनाया गया।

यह जश्न इसलिए नही था कि इससे भारत को कोई फायदा होने वाला था बल्कि एक भारत का दोस्त हार गया और भारत को भविष्य में नुकसान होने वाला था।

यह वह इकोसिस्टम है जिसे मोदी से दुश्मनी के चलते भारतवर्ष से भी दुश्मनी करने में कोई परहेज नही है। जो बाइडेन के सलाहकार थे उसमें ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के मुसलमान थे जो कभी भी भारत का हित नही चाहते थे। जो हिंदुस्तानी मूल के भारतीय थे, वे अपनी जड़ों से कतें हुए थे और राणा अयूब जैसी मोदी विरोधी और झूठ की महासागर लेखिका की पोस्ट से प्रभावित थे, के लिखे को सच मानकर भारत को एक अराजक,गैर लोकतांत्रिक देश मान रहे थे और ट्रम्प को भी इसके लिए जिम्मेदार मानते थे वे भी बाइडेन के प्रचारक हो गए, भले ही आज बाइडेन प्रशासन के इस निर्णय से भारत में रह रहे उनके परिजन और रिश्तेदारों को भी भुगतान पड़ रहा है।

यह तो हुआ एक पक्ष,

दूसरा पक्ष यह है कि अमेरिका अपनी वैक्सीन भारत में बेचना चाह रहा है लेकिन वह भारतीय वैक्सीन के मुकाबले बहुत महंगी है और भारत सबसे बड़ा मार्किट है।

आज से नहीं बल्कि पहले से ही अमेरिका का नारा अमेरिका फर्स्ट रहा है, उसकी व्यवसायियों की लॉबी बहुत तकड़ी है जो प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित करने में सक्षम है,वे ही चुनाव लड़ने वाली पार्टियों की फंडिंग करते रहते हैं, इसीलिए सामरिक साथी होने के बावजूद बाइडेन प्रशासन भारत को रॉ मैटेरियल नही दे रहा है।

हालांकि यह भले ही पीड़ादायक घटना हो लेकिन भारत इससे अपने आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूती से कदम बढ़ाएगा।

आने वाला समय भारत का ही होने जा रहा है।

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