अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते समय युधिष्ठिर ने क्यों दिया अपनी मां को शाप
वेदों में पितृ यज्ञ का वर्णन है। पुराणों ने इसके बारे में विस्तार से बताया। पुराणों में इसे श्राद्धकर्म का नाम दिया गया। इसका अर्थ हुआ कि यह परंपरा वेद काल से ही प्रारंभ हो चुकी थी। जिस समय में श्राद्ध किया जाता है। उस समय को पितृपक्ष कहते हैं। श्राद्धकर्म का वर्णन रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है।
इस परंपरा में कोई बदलाव आदि काल से अब तक देखने को नहीं मिलता है। इस परंपरा के अनुसार जिन लोगों के घर पर उनके सगे संबंधियों की मृत्यु हो जाती है। उनका निवास स्थान पितृलोक हो जाता है। उन्हें पितृपक्ष में भोजन और जल प्रदान किया जाता है इसी परंपरा को श्राद्धकर्म कहा जाता है।
श्राद्ध कर्म किसने और कब प्रारंभ किया इसका वर्णन किसी भी धार्मिक ग्रंथ में स्पष्ट रूप से वर्णन नहीं किया गया है। रामायण में राजा दशरथ की मृत्यु के बाद भगवान श्रीराम ने उनका श्राद्ध किया था ऐसा वर्णन मिलता है।
महाभारत ग्रंथ के अनुसार ऋषि निमि ने महर्षि अत्रि को श्राद्ध की व्याख्या की थी। जिन्हे जैन धर्म का 22 वॉॅ तीर्थंकर माना जाता है। इससे सिद्ध होता है कि महर्षि निमि ने श्राद्ध कर्म का प्रारंभ किया था।इसके बाद यह समाज के सभी वर्गों में प्रचलित हो गया।
श्राद्धके अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। महाभारत काल में श्राद्ध का दो जगह वर्णन मिलता है। पहला भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के बारे में बताया।श्राद्ध का दूसरा वर्णन तब आता है जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया। पांडवों की इस युद्ध में जीत हुई।
महाराज युधिष्ठिर ने कौरवो तथा पांडवों पक्ष के सभी वीरों का अंतिम संस्कार के साथ साथ श्राद्ध भी किया। युधिष्ठिर की माता कुंती ने युधिष्ठिर से कहा कि तुम्हें दानवीर कर्ण का भी श्राद्ध करना चाहिए। तब युधिष्ठिर ने कहा कि धर्म कहता है कि अपने कुल के व्यक्ति का श्राद्ध करना चाहिए। दानवीर कर्ण हमारे कुल के नहीं है तो मैं उनका श्राद्ध कैसे कर सकता हूं।
तब युधिष्ठिर की माता कुंती ने दानवीर कर्ण के जन्म का राज खोला। युधिष्ठिर को बताया कि दानवीर करें तुम्हारे बड़े भाई हैं। इसके बाद पांडव आश्चर्यचकित हो गए। युधिष्ठिर ने अपनी माता को कुंती को श्राप दिया अब किसी भी नारी के पेट में कोई बात नहीं छुपेगी। यह परंपरा अनंत काल से चली आ रही है। वेदों में देवताओं के साथ-साथ पितरो की आराधना का अनुमान है।